विद्यालय के विद्यार्थियों नैतिक ज्ञान का संवर्धन कैसे किया जा सकता है?
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Answer: विद्यार्थियों मैं नैतिक ज्ञान का संवर्धन करने के लिए कुछ निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए।
1) विद्यार्थी में अनुकरण करने की प्रवृति होती है अतएव शिक्षकों का आचरण निष्पक्ष , पवित्र एवं शुद्ध तथा ऊर्जा संपन्न होना चाहिए ।
2) विद्यार्थियों को शिक्षक सहजतापूर्वक उपलब्ध हो इस हेतु उनसे मित्रता और सामंजस्य का व्यवहार किया जाना चाहिए ।
3) कक्षा मॉनिटर उस विद्यार्थी को बनाया जाए जो स्वयं अनुशासित, समझदार तथा सकारात्मक सोच वाला उत्साही एवं मेहनती बालक/बालिका हो ।
4) विद्यालय में स्थान - स्थान पर सुभाषित वाक्यों की पट्टियां लगाई जानी चाहिए।
5) विद्यार्थियों का नैतिक विकास विविध प्रकार के खेलों से भी संभव है इसलिए उन्हें खेल खिलाने चाहिए ।
6) पाठ्य सहगामी क्रियाओं में सृजनात्मक गतिविधियों को स्थान दिया जाना चाहिए जैसे व्यायाम ,चित्रकला ,शिक्षाप्रद गीत ,कहानी/कविता सुनाना, बनाना तथा उस पर अभिनय करके दिखाना साथ ही ऐसी वस्तुएं जो उपलब्ध सामग्री से शीघ्रता पूर्वक बनती हो, बनाना उसके माध्यम से बच्चों में ज्ञान का संवर्धन तथा नैतिकता का पाठ सहजतापूर्वक पढ़ाया जा सकता है ।
7) विद्यार्थियों के उल्लेखनीय व प्रेरणास्पद योगदान हेतु उन्हें समय-समय पर पुरस्कार देकर प्रोत्साहित करने से अन्य विद्यार्थियों को भी प्रेरणा प्राप्त होती हैं । अत: उन्हें पुरस्कार दिए जाने चाहिए ।
8) ऐच्छिक रूप से जीवनोंपयोगी वस्तुओं का समय - समय पर विद्यार्थियों द्वारा अभावग्रस्त जनसमुदाय में दान करवाया जाना चाहिए |
9) यदि विद्यार्थी से गलती हो जाए तो उसे शिक्षक सदैव स्नेहयुक्त वार्तालाप एवं सकारात्मक रवैया रखकर सुलझाए एवं व्यवहार करे |
10) महापुरुषों की गाथाएं सुनाए और सद्ग्रन्थ एवं अच्छी पुस्तकें पठन की प्रेरणा देकर उससे संबंधित स्पर्धा का आयोजन तथा पर्यटन , वृक्षारोपण , वनविहार इत्यादि करने से भी विद्यार्थी में सद्गुणों का विकास होता है | सच्चरित्रता एवं मानवीय मूल्यों का सतत महिमामंडन किया जाए । तदर्थ शिक्षाप्रद फ़िल्में,नाटक-नाटिकाएँ, संभाषण,इत्यादि का
समय-समय पर प्रदर्शन करवाना चाहिए |