विद्यालय खुलने के संबंध में दो मित्रों के बीच 50 शब्दों में संवाद लिखे ।
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. दूरदर्शन पर प्रसारित कार्यक्रमों के विषय में दो विद्यार्थियों के मध्य संवाद –
शुभम – मित्र ध्रुव! विज्ञान ने दूरदर्शन के रूप में हमें कितना सुंदर उपहार दिया है।
ध्रुव – शुभम, बिलकुल ठीक कहते हो। आज यह हर घर की ज़रूरत बन गई है।
शुभम – ठीक कह रहे हो। बच्चे, बूढ़े और युवा सभी इसके कार्यक्रमों का आनंद उठाते हैं।
ध्रुव – शुभम, दूरदर्शन मनोरंजन का ही नहीं, बल्कि ज्ञान का भी साधन है।
शुभम – है तो पर इसके कई चैनल अश्लील कार्यक्रम भी दिखा रहे हैं जिन्हें परिवार के साथ बैठकर देखने में शर्म आती
ध्रुव – ऐसे कार्यक्रमों का युवाओं पर अधिक दुष्प्रभाव पड़ता है। फिर भी ऐसे कार्यक्रम पता नहीं क्यों दिखाए जाते हैं ?
शुभम – इन कार्यक्रमों के निर्माताओं को ऐसे कार्यक्रमों से अधिक लाभ मिलता है तथा उनकी टी०आर०पी० बढ़ती है।
ध्रुव – कुछ भी हो, पर इन अश्लील कार्यक्रमों पर रोक लगनी ही चाहिए।
शुभम – पर इन पर रोक कैसे लगे?
ध्रुव – सरकार को चार-पाँच सदस्यों के सहयोग से ‘दूरदर्शन कार्यक्रम नियंत्रण बोर्ड’ का गठन कर देना चाहिए। इसकी स्वीकृति के बाद ही कार्यक्रम प्रसारित किया जाना चाहिए।
शुभम – पर समाज की भी तो कुछ ज़िम्मेदारी होनी चाहिए।
ध्रुव – समाज को भी ऐसे अश्लील कार्यक्रमों के खिलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए ताकि समाज का वातावरण स्वस्थ बना रहे।
4. ग्राहक शोभित और दुकानदार (केमिस्ट) के मध्य बातचीत –
शोभित – नमस्कार भाई साहब! मुझे ये दवाइयाँ चाहिए।
दुकानदार – ये दवाएँ तो थोड़ी महँगी हैं। चल जाएँगी?
शोभित – लगभग कितने की होंगी?
दुकानदार – ये सब एक हज़ार रुपए से अधिक की होंगी।
शोभित – रहने दो, मैं इन्हें दो घंटे बाद ले जाऊँगा।
दुकानदार – रुको! मैं तुम्हें कुछ सस्ती दवाएँ दे देता हूँ जो सात सौ रुपए तक आ जाएँगी।
शोभित – दे दीजिए। यह ठीक रहेगा।
दुकानदार – ये रही आपकी दवाएँ और इनका दाम हुआ सात सौ बीस रुपए।
शोभित – (पैसे देकर दवाओं को ध्यान से देखकर) इन दवाओं पर तो ‘बिक्री के लिए नहीं’ की मुहर लगी है। इन पर कोई दाम भी नहीं लिखा है।
दुकानदार – तभी तो ये सस्ती हैं।
शोभित – तुम गलत कार्य करते हो। भोले-भाले ग्राहकों को लूटते हो। मैं अभी पुलिस को बुलाता हूँ।
दुकानदार – नहीं भाई साहब, ऐसा मत करो। ये लो अपने पैसे और दवाएँ मुझे दो। मैं किसी और को दे दूंगा।
शोभित – तुम गलत तरीके से दवाएँ बेचते हो। मैं शिकायत ज़रूर करूँगा।
दुकानदार — माफ़ करना, भाई साहब। अब से ऐसी दवाएँ नहीं बेचूंगा। इस बार माफ़ कर दो। ये दवाएँ भी तुम मुफ़्त में ले जाओ।
शोभित – मुझे ऐसी दवाएँ नहीं चाहिए। इन्हें किसी ऐसे व्यक्ति को दे देना, जिसके पास पैसे न हों।
दुकानदार – मैं ऐसा ही करूँगा। भविष्य में इस प्रकार की दवाओं का दाम किसी से नहीं लूँगा।
5. डॉक्टर और हर्ष के मध्य संवाद –
हर्ष – डॉक्टर साहब, नमस्ते।
डॉक्टर – नमस्ते! बताइए आपको क्या तकलीफ है ?
हर्ष – जी, मुझे दो दिन से बुखार आ रहा है।
डॉक्टर – यह थर्मामीटर मुंह में लगाओ। अब देखते हैं, तुम्हें कितना बुखार है?
हर्ष – (थर्मामीटर लगाने और डॉक्टर को देने के बाद) कितना बुखार है?
डॉक्टर – (थर्मामीटर देखकर) 102° फारेनहाइट। क्या तुम्हें सरदी भी लगती है?
हर्ष – हाँ मुझे कँपकँपी-सी होती है और अचानक बुखार बढ़ जाता है।
डॉक्टर – क्या तुम्हारे घर के आसपास मच्छर हैं ?
हर्ष – डॉक्टर साहब, मेरे घर के आसपास मच्छर हैं। वे रातभर सोने नहीं देते हैं।
डॉक्टर – ये दवाएँ दिन में तीन बार और यह दवा दिन में दो बार खाना और हाँ आज ही खून की जाँच करवा लेना, क योंकि मलेरिया के लक्षण लग रहे हैं।
हर्ष – आपको फिर दिखाने कब आऊँ?
डॉक्टर – कल खून की रिपोर्ट लेकर ज़रूर आना। तुम चिंता मत करना, बस दो-तीन दिन में ही ठीक हो जाओगे।
हर्ष – डॉक्टर साहब, ये रही आपकी फ़ीस और दवाओं का दाम।
डॉक्टर – धन्यवाद और दवाएँ समय से खाते रहना।
हर्ष – ठीक है। आपने जैसा बताया है वैसे ही खाऊँगा।