विद्यालय में हुए वार्षिक उत्सव के विषय के बारे में डायरी लिखें
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वार्षिकोत्सव की तिथि निश्चित होते ही शिक्षकों एवं विद्यार्थियों में उत्साह की लहर फ़ैल गयी। विद्यार्थियों एवं शिक्षकों की बैठक में कार्यक्रम की रूप रेखा तैयार फ़ैल गयी।कार्य विभाजन हो जाने से सभी अपने - अपने काम में लग गए। एक महीने पहले से ही तैयारियाँ होने लगी। वार्षिकोत्सव के दिन विद्यालय को झंडिओं एवं पताकाओं से खूब सजाया गया था।
स्वागत सत्कार -
प्रवेश द्वार पर बालचर एवं एन.सी. सी के छात्र अपनी भेष - भूषा में तैयार खड़े थे। पंडाल में चारों तरफ जिम्मेदार विद्यार्थी शांति बनाये हुए थे। सभापति के आगमन की सुचना मिलते ही प्रधानाचार्य स्वागत किया। विद्यालय में एन .सी .सी. के छात्रों की परेड़ में सलामी लेने के बाद पंडाल की कार्यवाही शुरू हुई।
प्रधानाचार्य द्वारा विवरण -
प्रधानाचार्य जी ने विद्यालय का इतिहास बतलाते हुए अपनी कठिनाइयों से अध्यक्ष एवं सरकार का ध्यान आकर्षित करने का अनुरोध किया एवं सरकार से अधिक सहायता की माँग की।
पारितोषिक विवरण -
प्रधानाचार्य जी के बाद विद्यालय का पुरस्कार वितरण का काम शुरू हुआ। खेद - कूद में प्रथम आने के साथ - साथ कक्षाओं में प्रथम ,द्वितीय आने वाले विद्यार्थियों को भी पुरस्कार बाँटा गया।
सभापति का भाषण -
पुरस्कार वितरण के बाद अध्यक्ष महोदय का भाषण प्रारम्भ हुआ। अध्यक्ष महोदय ने प्रधानाचार्य ,शिक्षकवृन्द एवं विद्यार्थियों की भूरि - भूरि प्रशंसा की एवं छात्रों को और अधिक अनुशाषित रहने की सलाह दी।
उत्सव की समाप्ति -
अध्यक्ष भाषण के बाद प्रधानाचार्य ने सभापति एवं अतिथियों को धन्यवाद दिया।
उपसंहार -
वार्षिकोत्सव वर्ष में एक ही बार ही होता है,किन्तु उसका प्रभाव विद्यार्थियों पर वर्ष भर रहता है। पारितोषिक प्राप्त करने के लिए सभी विद्यार्थी साल भर परिश्रम करते हैं। अनुशासन में रहने की चेष्टा करते हैं।वार्षिकोत्सव सहयोग देने से सामूहिक रूप से कार्य करने की भावना आती है तथा अच्छे नागरिक बनने की शिक्षा मिलती है।