Hindi, asked by ridhima8733, 11 months ago

विद्यालय में होने वाले नाटक में भाग लेने वाले दो मित्रों के बीच होने वाला संवाद लिखिए​

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Answered by franktheruler
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विद्यालय में होने वाले नाटक में भाग लेने वाले दो मित्रों के बीच होने वाला संवाद निम्न प्रकार से लिखा गया है

टोनी : हेल्लो विकी , कैसे हो?

विकी : ठीक हूं, और बताओ अगले महीने विद्यालय में होने वाले वार्षिकोत्सव के नाटक की तैयारी कैसी चल रही है?

टोनी : अच्छी चल रही है, तुम दो दिनों से रिहर्सल में क्यों नहीं अा रहे?

विकी ; हां, मित्र आज मेरा कंप्यूटर कोर्स का एग्जाम था, इसलिए तैयारी करनी थी। कल से समय पर पहुंच जाऊंगा।

टोनी : तुम्हे जो कॉस्ट्यूम्स की लिस्ट दी थी, वह कपड़ों के शो रूम में दे आया बनवाने के लिए ?

विकी : हां, उसी दिन दे आया। वो नौकर के किरदार के लिए कोई पात्र मिला की नहीं ?

टोनी: हां, कल एक लड़का आया था, मैनेजमेंट उसका ऑडिशन लेगी फिर ही उसका रोल फाइनल किया जायेगा।

विकी : ठीक है, चलो कल मिलता हूं रिहर्सल पर।

टोनी : हां, हां ठीक है।

#SPJ1

Answered by Jatinprakashkumawat
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पर्यावरण प्रदूषण:

पर्यावरण प्रदूषण द्वारा वायु, जल और मिट्टी के अंदर निहित तत्वों का अनुपात असंतुलित हो जाता है. उदहारण के लिए - हवा में मानव के लिए उपयोगी प्राणवायु विद्यमान है. अगर हवा में आवश्यक तत्वों का संतुलन बिगड़ जाए, तो मानव जीवन को खतरा उत्पन्न हो जाता है. पर्यावरण प्रदूषण के लिए आज के विज्ञान की भौतिकवादी भूमिका मुख्य रूप से जिम्मेदार है. मनुष्य अपने ऐशो-आराम के लिए विज्ञान के माध्यम से प्रकृति का दोहन कर रहा है. कहा गया है प्रकृति हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति तो कर सकती है लेकिन लालच का नहीं.

मृदा प्रदूषण:

उपज बढ़ाने के लिए खेतों में प्राकृतिक खादों के बदले रासायनिक खादों के प्रयोग एवं फसलों पर कीटनाशक दवाओं के छिड़काव से मिट्टी की स्वाभाविक उर्वरा शक्ति क्षीण होती जा रही है. बढ़ती जनसँख्या के भोजन की पूर्ति की चुनौती खेतों के दोहन को बढ़ावा देता है. इससे बचने के लिए प्राकृतिक एवं रासायनिक खादों के प्रयोग संतुलन स्थापित करना होगा तथा कीटनाशक दवाओं से भी बचना होगा. तभी मृदा प्रदूषण पर नियन्त्रण रखा जा सकता है.

जल प्रदूषण:

कहा गया है की जल ही जीवन है. लेकिन आज बड़े-बड़े शहरों की नालियों का पानी एवं कल-कारखानों से निकले कचरे तथा विषैले रासायनिक द्रवों को सीधे नदियों एवं झीलों में प्रवाहित कर देने से इनका जल प्रदूषित हो गया है. गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियां भी आज जल प्रदूषण से वंचित नहीं है. ऐसे में प्रदूषित जल के सेवन से जल जनित रोग - टी.बी., मलेरिया, टाइफाइड और हैजा आदि फैलने लगते हैं.

वायु प्रदूषण:

वायु के बिना एक क्षण भी जीवित रहना असंभव है. आज यह प्राण तत्व भी दूषित हो चला है. कल-कारखानों की बड़ी-बड़ी चिमनियों, मोटरगाड़ियों, वयुयानों एवं रेल के इंजनों से निकलने वाले धुल-धुएं वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं. बड़े-बड़े महानगर इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं, जहाँ का पर्यावरण वाहनों द्वारा विषैला होता जा रहा है. शहरों में Particulate Matter 2.5 की मात्रा बढ़ने से सांस और चर्म रोग का खतरा बढ़ जाता है. प्रदूषित वायु में सांस लेने से फेफड़े एवं गले से संबंधित कई प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं.

ध्वनि प्रदूषण :

ध्वनि प्रदूषण की समस्या विश्व्यापी है, अतएव इसके समाधान के लिए विश्व स्तरीय प्रयास होने चाहिए. पर्यावरण प्रदूषण 'के महाविनाश से चिंतातुर विश्व के 175 देशों के प्रतिनिधि ब्राजील में एस ज्वलंत समस्या पर विचार हेतु एकत्रित हुए. इस महासम्मेलन में भारत के परामर्श से ‘पृथ्वी कोष' की स्थापना पर आम सहमति हुई. अत: इसे समस्या के समाधान की दिशा में एक अच्छी शुरूआत मानी जा सकती है.

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