विद्यालय में योग शिक्षा का महत्व बताते हुए किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए
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. छात्रों के लिए जरूरी है योग – योग शिक्षा जितनी कम उम्र से ली जाये, उतना ही शरीर को ज्यादा लाभ मिलता है। बच्चों का शरीर बड़ों की तुलना में ज्यादा लचकदार होता है। इसलिए बच्चे चीजों को जल्दी और आसानी से सिख जाते हैं। स्वास्थ्य सहलाकार योग की सलाह देते रहते है लेकिन समय रहते अनुसरण ना किया जाए तो बाद में बच्चे सुनते नहीं हैं।
आज की तुलना में पहले के बच्चों के पास घर से बाहर खेलने के कई मौके होते थे। लेकिन आज के बच्चे गैजेट्स के अलावा और कही अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते। जिस कारण बच्चों में शिक्षा के प्रति भी उदासीनता देखी जा रही है जिसका मूल कारण है तन-मन का अस्वस्थ होना।
स्वस्थ शरीर में स्वस्थ शिक्षा का निवास सम्भव है और यह काम योग से संभव है। योग से शरीर को रोगों से मुक्ति मिलती है और मन को शक्ति देता है। योग बच्चों के मन-मस्तिष्क को उसके कार्य के प्रति जागरूक करता है।
2. दृढ़ता एवं एकाग्रता को बढ़ाता है योग – जिन विद्यार्थियों में पढ़ाई के प्रति अरुचि या मन ना लगना जैसी समस्या होती है। उन विद्यार्थियों के लिए योगक्रिया चमत्कार जैसा काम करती है। सुबह के वक्त योग करने से विद्यार्थियों में एकाग्रता और दृढ़ता बेहतर होती है।
इससे तन-मन स्वस्थ और निरोग रहता है और बच्चे सभी क्षेत्र में अव्वल रहते हैं। योग के निरंतर अभ्यास से विद्यार्थियों में पढ़ाई की भावना प्रबल होती है।
3. मन को आत्मविश्वास से भरता है – आजकल के बच्चों को पढ़ाई और प्रतियोगिता का बोझ बचपन से ही उठाना पड़ता है। बचपन से ही उनमें जीत की ऐसी भावना भर दी जाती है कि जब वे हारते हैं तो यह वो सहन नहीं कर पाते और अपना आत्मविश्वास खो बैठते है। अपने मन से भी कमजोर हो जाते है, इसलिए विद्यार्थियों को शुरू से योग शिक्षा देना बहुत आवश्यक है।
योग से बच्चों की सहनशीलता बढ़ती है और मन शक्तिशाली होता है। योगाभ्यास से मन-मस्तिष्क का संतुलन बना रहता है जिससे दुःख-दर्द-समस्याओँ को सहन करने की शक्ति प्रदान होती है। योग विद्यार्थियों को आगे बढ़ने की और आत्मविश्वास को बढ़ाने की शक्ति देता है।
4. बुद्धि तेज होती है – वैसे तो मार्केट में कई तरह के टॉनिक उपलब्ध है दिमाग को तेज करने के लिए। जो की महज एक छलावा से ज्यादा और कुछ नहीं है। लेकिन योग एक प्राकृतिक साधन है जिसका कोई मुकाबला नहीं।
सही खानपान और नियमित योगक्रिया से दिमाग को तेज करने में मदद मिलती है। जिससे बच्चों में बचपन से ही अच्छी सोच का विकास होता है और वे सदा सकारात्मक बनते है। अपने बच्चों को योग का ज्ञान दें और उनकी बुद्धि को तेज करने में अपना योगदान दे।
5. व्यसनों से निजात मिलती है – अधिकांश विद्यार्थियों को अपने शिक्षाकाल में ही बुरी संगत और बुरी लत लग जाती है। जो उनके भविष्य के लिए बहुत ही हानिकारक साबित होते है। मादक द्रव्य का स्वास्थ्य पर इतना बुरा असर पड़ता है की बच्चे अपनी राह भटक जाते है।
लेकिन योग का नियमित अभ्यास इन व्यसनों से छुटकारा दिलाने में सक्षम है। क्योंकि योग से मन-मस्तिष्क की चेतना जागृत होती है और बच्चों को अच्छी व गलत आदत का आभास होने लगता है। आपके बच्चे मादक द्रव्य से पूर्णरूप से दूर रहे उसके लिए उन्हें बचपन से ही योग की शिक्षा दें।
6. लक्ष्य प्राप्ति में सहायक – योग का अभ्यास व्यक्तियों में छुपी हुई शक्तियों को जागृत करता है। इसलिए वर्तमान परिवेश में शिक्षा जगत में योग की शिक्षा अनिवार्यता है। क्योंकि छात्र योग के बल पर अपने मस्तिष्क को शुद्ध करके विचार शक्ति को बढ़ा सकते है। जिससे छात्रों को लक्ष्य प्राप्ति में सहायता मिलती है।