Social Sciences, asked by pritikumari, 1 year ago

विद्यालय उन्नयन योजना कार्यक्रम क्या है

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Answered by rvk18
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विद्यालय योजना निर्माण से पूर्व संस्था प्रधान द्वारा की जाने वाली तैयारी-

शिक्षालय केंद्र बिंदु है जहा अधिगम प्रथम लक्ष्य , शिक्षार्थी केंद्र बिंदु , शिक्षक सर्वाधिक उपयोगी संसाधन व वातावरण सर्वोच्च सहायक है। सैद्धांतिक रूप से ” विद्यालय योजना” एक अभिलेख है एवम इसका प्रारूप सर्वत्र समान होता है लेकिन विभिन्नता के कारण प्रत्येक विद्यालय की योजना अलग होती है। एक संस्था प्रधान को विद्यालय योजना के निर्माण से पूर्व विद्यालय, स्थानीय समुदाय, परिस्तिथियों एवम संसाधनों का विहंगम अवलोकन कर निम्नानुसार जानकारी एकत्र कर लेनी चाहिए-

1. क्षेत्रवार समस्याओ की सूचि बनाये यथा- शैक्षिक, सहशैक्षिक, भौतिक, वातावरण, विभागीय कार्यक्रम व अन्य क्षेत्र।

2. क्षेत्रवार समस्या सूचि तैयार होने पर ” उन्नयन बिन्दुओ ” का निर्धारण।

क्षेत्रवार समस्याएं व उन्नयन बिंदु प्रतिवर्ष परिवर्तित हो सकते है।

3. प्राथमिकता का निर्धारण, संस्था प्रधान संस्था की स्तिथि के अनुसार प्राथमिकता का चयन करने हेतु स्वतंत्र है, लेकिन प्राथमिकता चयन के समय यह ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिए कि हमारा प्राथमिक उद्देश्य परीक्षा परिणाम व शैक्षणिक स्तर में गुणात्मक अभिवर्धि है अतः ऐसी प्रवतियो का चयन प्राथमिकता से करे जिनका इनसे सीधा सम्बन्ध हो तथा जो विद्यार्थी अधिगम को सहज विकास प्रदान करे। इस हेतु तत्कालीन समय में संचालित होने वाले विभागीय कार्यक्रमों व शिक्षा दर्शन को प्रथमिकता प्रदान करे।

4. प्राथमिकता चयन के पश्चात प्रत्येक प्राथमिकता हेतु लक्ष्य निर्धारण किया जाता हैं। लक्ष्य के दो पक्ष होते है- कार्यपूर्ती पक्ष व समय सीमा पक्ष।इन दोनों पक्षों का उचित समावेश आवश्यक हैं। एक संस्था प्रधान को सर्वप्रथम कार्यपूर्ती पक्ष की विभागीय व मानक अपेक्षाएं ज्ञात रहनी चाहिए। मानक अपेक्षाओं को हम आवश्यकता के रूप में भी समझ सकते हैं। इन मानक अपेक्षाओं Pको हमें लिखित रूप प्रदान कर देना चाहिए।

इसके पश्चात हमें मानक अपेक्षाओं की तुलना उपलब्ध संसाधनों से करनी है एवम कमियो या आवश्यकताओं के क्रम में प्राथमिकता चयन व निर्धारण करना हैं। इस निर्धारण कार्य हेतु हमें विभिन्न शीर्षकानुसार सुचियो का निर्माण करना होता हैं। इन सुचियो में आवश्यक व उपलब्ध संसाधनों को दर्शाना हैं।

लक्ष्य निर्धारण वास्तविकता के धरातल पर रहते हुए करना चाहिए अन्यथा नैराश्य भाव प्राप्त हो सकता है। प्रत्येक उन्नयन बिंदु हेतु प्रभारी नियुक्ति भी रूचि, योग्यता व समर्पण आधार पर की जानी चाहिए।

विद्यालय योजना निर्माण करते समय ध्यान में रखे जाने योग्य बिंदु।

1. विद्यालय योजना उपलब्ध क्षमता, संसाधन, व आवश्यकता के आधार पर जरुरी।

2. योजना निर्माण हेतु अध्यापको, अभिभावको, विद्यार्थियों व समुदाय का सहयोग जरुरी।

3. निम्न क्षेत्रो को आवश्यक रूप से शामिल करे- शैक्षिक, सहशैक्षिक, भौतिक, वातावरण निर्माण एवम विभागीय कार्यक्रम।

4. प्रत्येक क्षेत्र के विकास हेतु उन्नयन बिंदु निर्माण के पश्चात उनकी भी उपलब्ध संसाधनों व आवश्यकता के अनुसार प्राथमिकता निधारित कर प्रभारी नियुक्ति, समयावधि तैयार करना व कार्य के चरण बनाना।

5. संस्था प्रधान द्वारा मासिक व त्रिमासिक प्रबोधन करना।

6. अर्द्ध वार्षिक व वार्षिक मूल्यांकन जिला शिक्षा अधिकारी को प्रेषित करना।

7. प्रत्येक उन्नयन बिंदु का प्रगति सुचना ग्राफ बनाना।

#विद्यालय योजना के चरण#

A. विद्यालय योजना निर्माणका प्रारूप।

1. विद्यालय संबंधी सुचना- (बिंदु 1 से 7 तक)

विद्यालय नाम, विद्यालय का संक्षिप्त इतिहास, संस्था प्रधान नाम-योग्यता-अनुभव, छात्र संख्या- कक्षावार व आयु वर्गवार, अनुसूचित जाति वर्ग नामांकन सुचना,

सार-

1. विद्यालय योजना एक अत्यंत महत्वपूर्ण अभिलेख, उपकरण व दर्शन है जिसके बिना एक सफल विद्यालय का निर्माण अत्यंत मुश्किल हैं।

2. विद्यालय योजना निर्माण के समय अल्पकालीन एवम दीर्घकालीन लक्ष्यों को आवश्यक रूप से सम्मिलित किया जाना चाहिए।

3. वर्तमान परिद्रश्य के अनुसार शेक्षिक, सहशैक्षिक, भौतिक लक्ष्यों के साथ वातावरण निर्माण, विभागीय कार्यक्रम, राष्ट्रीय कार्यक्रम व विद्यालय मोटो को भी विद्यालय योजना में सम्मिलित किया जाना चाहिए।

4. विद्यालय योजना निर्माण में सभी क्षेत्रो, पक्षों व दर्शन को सम्मिलित करने के पश्चात इसका सतत मूल्यांकन पश्चात प्रतिवेदन नियंत्रण अधिकारी को अवश्य प्रेषित करना चाहिए।


Answered by Anonymous
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विद्यालय उन्नयन योजना कार्यक्रम क्या है

उत्तर:

केंद्र राज्य द्वारा शासित शैक्षिक प्रणाली पर राष्ट्रीय नीति में कहा गया था कि प्रत्येक बच्चे को जाति, पंथ, लिंग, भाषा के बावजूद शिक्षा का अधिकार है।

शिक्षा की इस नीति में यह शामिल है कि छात्रों में कोई असमानता नहीं होनी चाहिए और पिछड़े छात्र को उचित शिक्षा प्रदान करनी चाहिए।

स्कूल का बुनियादी ढांचा ठीक से विकसित होना चाहिए ताकि छात्र ठीक से अध्ययन कर सकें। यह शिक्षा नीति छात्राओं को उच्च अध्ययन के लिए प्रोत्साहित करती है और वंचित छात्रों को पढ़ाई से वंचित नहीं किया जाएगा। छात्रों को किताबें और कॉपियों सहित मिड डे मील प्रदान किया जाएगा।

uttar:

kendr raajy dvaara shaasit shaikshik pranaalee par raashtreey neeti mein kaha gaya tha ki pratyek bachche ko jaati, panth, ling, bhaasha ke baavajood shiksha ka adhikaar hai.

shiksha kee is neeti mein yah shaamil hai ki chhaatron mein koee asamaanata nahin honee chaahie aur pichhade chhaatr ko uchit shiksha pradaan karanee chaahie.

skool ka buniyaadee dhaancha theek se vikasit hona chaahie taaki chhaatr theek se adhyayan kar saken. yah shiksha neeti chhaatraon ko uchch adhyayan ke lie protsaahit karatee hai aur vanchit chhaatron ko padhaee se vanchit nahin kiya jaega. chhaatron ko kitaaben aur kopiyon sahit mid de meel pradaan kiya jaega.

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