English, asked by sneha8136, 1 year ago

विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नगुप्तं धनम्
विद्या भोगकरी यशः सुखकरी विद्या गुरूणां गुरुः ।
विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परा देवता
विद्या राजसु पूज्यते न हि धनं विद्या,विहीनः पशुः ।

can anyone who has guts or believe he is master in sanskrit can translate in hindi ?
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if you can't so think you are a loser



open challenge to sanskrit students​

Answers

Answered by shishir303
9

विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नगुप्तं धनम्

विद्या भोगकरी यशः सुखकरी विद्या गुरूणां गुरुः।

विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परा देवता

विद्या राजसु पूज्यते न हि धनं विद्या, विहीनः पशुः।

अर्थ ⦂ विद्या ही मनुष्य सबसे सर्वोत्तम धन है। ये एक गुप्त धन है, जो दिखायी नही देता है। विद्या गुरुओं की गुरु है, ये अतुल यश प्रदान करने वाली है। विद्या ही देश-विदेश में मनुष्य की सच्चा बंधु होती है। विद्या गुरुओं की गुरु होती है। विद्या ही सबसे बड़ी देवता है। राजाओं में विद्या की पूजा होती है, धन की नही। अतः जो विद्याविहीन हैं, वे नर नही बल्कि पशु के समान हैं।

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Answered by steffis
2

Hindi translation of the given sanskrit shlok is mentioned below:

Explanation:

हिन्दी अनुवाद:

विद्या का मतलब होता है मनुष्य का ही विस्तृत रूप और (मनुष्य का) छुपा हुआ और गुप्त धन। विद्या ही (विविध वस्तुओं का) उपभोग कराने वाली तथा कामयाबी और सुखप्रदायिनी होती है। इसीलिए विद्या गुरुओं की भी गुरु है (अथवा सब से बड़ी चीज है।) किसी दूसरी दूर की जगह जाने पर विद्या ही हमारे किसी मित्र अथवा भाई जैसी (सहारा देनेवाली) होती है। इसीलिए विद्या ही बडी देवता है। विद्या राजाओं में पूजी जाती है। धन नहीं पूजा जाता। इसीलिए विद्याहीन मनुष्य पशु जैसा होता है।

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