Hindi, asked by st7318344, 2 months ago

विद्यार्थी जीवन में शिक्षा के साधन है- (अनुपयुक्त कथन छांटिए)​

Answers

Answered by anannya003911
0

Answer:

शिक्षा के साधनों का वर्गीकरण कई प्रकार से किया जाता है। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण वर्गीकरण निम्नलिखित पक्तियों में दिये जा रहे हैं –

शिक्षा के साधनों के पहले वर्गीकरण के अन्तर्गत शिक्षा के विभिन्न अर्थों की भांति शिक्षा के साधन भी अनेक हैं। शिक्षा के इन साधनों को प्राय: दो भागों में विभाजित किया जाता है – (1) सविधिक अथवा औपचारिक एवं (2) अविधिक अथवा अनौपचारिक। औपचारिक साधनों के उधाहरण है – स्कूल, व्यवस्थित मनोरंजन केन्द्र तथा पुस्तकालय आदि एवं अनौपचारिक साधनों के उदहारण है – परिवार, समुदाय, धर्म(चर्च), तथा खेल के समूह आदि। औपचारिक साधनों द्वारा बालक को प्रत्यक्ष रूप से नियिमित शिक्षा प्रदान की जाती है। इसके विपरीत अनौचारिक साधनों द्वारा बालक अप्रत्यक्ष रूप से अनियमित शिक्षा ग्रहण करता है।

शिक्षा के साधनों के दुसरे वर्गीकरण के अनुसार भी शिक्षा के सभी साधनों को दो भागों में विभाजित किया जाता है – (1) सक्रिय साधन तथा निष्क्रिय साधन। सक्रिय साधनों के अन्तर्गत परिवार, स्कूल, समुदाय, चर्च (धर्म), राज्य, सामाजिक क्लब तथा सामाजिक कल्याण केन्द्र आदि गिने जाते हैं और निष्क्रिय साधनों के अन्तर्गत सिनेमा, टेलीविजन, रेडियो, समाचार-पत्र तथा प्रेस आदि को सम्मिलित किया जाता है। सक्रिय साधनों के द्वारा शिक्षा देने वाले तथा शिक्षा प्राप्त करने वाले दोनों एक-दुसरे क्रिया तथा प्रतिक्रिया करके एक-दुसरे प्रभावित करके आचरण के बदलने में सहयोग प्रदान करते हैं। इसके विपरीत निष्क्रिय साधनों का प्रभाव एकतरफा होता है। ये साधन सुनाने तथा देखने वाले को तो प्रभावित करते हैं परन्तु इन पर देखने वाले या सुनाने वाले का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। उदाहरण के लिए, सिनेमा अथवा टेलिविज़न को देखने वालों पर तो इन साधनों का प्रभाव अवश्य पड़ता है परन्तु इनको देखने वाले का इन पर कोइ प्रभाव नहीं पड़ता। इस प्रकार निष्क्रिय साधनों में केवल एक ही पक्ष सक्रिय रहता है तथा दूसरा निष्क्रिय।

ब्राउन ने शिक्षा का तीसरा वर्गीकरण प्रस्तुत करते हुए शिक्षा के सभी साधनों को निम्नलिखित चार भागों में विभाजित किया है –

(1) औपचारिक साधन – ब्राउन ने औपचारिक साधनों के अन्तर्गत स्कूल, धार्मिक संस्थायें, वैचित्र संग्रहालय, पुस्तकालय तथा आर्ट गेलरीज को सम्मिलित किया है। ब्राउन का मत है की स्कूल में बालक को जान-बुझ कर नियमित रूप से योग्य शिक्षकों द्वार शिक्षा दी जाती है। धार्मिक संस्थानों जैसे – मन्दिरों, मस्जिदों तथा गिर्जाओं में बालक को चरित्र विकास एवं ज्ञानार्जन की शिक्षा दी जाती है। विचित्र संग्रहालय बालक का विभिन्न प्रकार की वस्तुओं, जीव-जंतुओं तथा ऐतिहासिक लेखों द्वारा ज्ञानात्मक, भावानात्मक, एवं सामाजिक विकास करते है। पुस्तकालय बालक का विभिन्न की प्रकार की पुस्तकों, समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं द्वारा बौधिक विकास करते हैं तथा आर्ट गेलरीज बालक के कलात्मक चित्रों को दिखाकर साहित्य तथा कला के प्रति रूचि उत्पन्न करती है।

(2) अनौचारिक – ब्राउन के अनुसार अनौचारिक साधनों के उदाहरण – परिवार, खेल, समूह, तथा समाज अथवा राज्य है। उसका अखण्ड विश्वास है कि परिवार में बालकों को प्रेम, दया, सहानभूति, सहयोग, त्याग, परोपकार , सहिष्णुता, कर्त्तव्य-पालन तथा आर्थिक सिद्धान्तों की शिक्षा मिलती है। खेल-समूह, वाद-विवाद तथा विचार-विदिमय द्वारा बालक के ज्ञान में वृधि करते है तथा सामाजिक प्राणी होने के नाते वह समाज अथवा राज्य से सामाजिक शिक्षा ग्रहण करता है।

(3) व्यवसायिक साधन- व्यवसायिक साधनों के अन्तर्गत रेडिओ, टेलीविजन, चलचित्र, नृत्य, गृह , नाट्यशाला, समाचार-पत्र तथा प्रेस आदि को सम्मिलित किया जाता है। उसका मत है कि रेडियो के द्वारा बालक विभिन्न प्रकार की सूचनाओं, वैज्ञानिक अन्वेषणों, कविताओं तथा भाषणों को सुनता है। इससे उसके ज्ञान में वृधि होती है। टेलीविजन, चलचित्र तथा नाट्यशाला के द्वारा बालक अपनी संस्कृति एवं सभ्यता से परिचित होता है तथा समाचार-पत्रों एवं प्रेस के द्वारा बालक समाजिक शिक्षा ग्रहण करता है।

(4) अव्यवसायिक साधन – अव्यवसायिक साधनों से ब्राउन का तात्पर्य उन साधनों से है जिसका निर्माण केवल समाज के भलाई के लिए किया जाता है। इसका सम्बन्ध किसी व्यवसाय से नहीं होता। अव्यवसायिक साधनों के अन्तर्गत ब्राउन ने खेल-संघ, समाज कल्याण-केन्द्र, नाटकीय संघ, युवक कल्याण-संगठन, स्काउटिंग, प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र तथा गर्ल-गईडिंग आदि साधनों को सम्मिलित किया है। उसका मत है की खेल-संघो के द्वारा बालक विभिन्न प्रकार के खेलों को खेलता है। इससे उसका शारीरिक विकास होता है तथा विश्व भ्रातृत्व की भावना जागृत होती है। सामाजिक कल्याण समितियां जैसे भारत सेवा सदन तथा भारत सेवा समाज आदि बालक को समाज की सेवा करने के लिए प्रेरित करती है। नाटकीय संघ बालक का समाजीकरण करते हैं। युवक कल्याण-संगठन बालक को समाज के हित के लिए सुयोग्य नागरिक बनाने का प्रयास करते हैं। प्रौढ़ शिक्षा केन्द्रों में प्रौढ़ व्यक्ति शिक्षा प्राप्त करते हैं तथा स्काउटिंग एवं गर्ल-गाईडिंग के द्वारा बालक को व्यावहारिक शिक्षा प्राप्त होती है।

(5) उपर्युक्त तीनों वर्गीकरण पर प्रकाश डालने से यह स्पष्ट हो जाता है कि शिक्षा के साधनों का पहला वर्गीकरण उत्तम एवं उपयुक्त है। दुसरे शब्दों में शिक्षा के सभी साधनों को केवल औपचारिक तथा अनौपचारिक साधनों के अन्तर्गत सरलतापूर्वक रखा जा सकता है। अत: निम्नलिखित पंक्तियों में हम शिक्षा के औपचारिक तथा अनौपचारिक साधनों पर विस्तृत दृष्टि से प्रकाश डाल रहे हैं।

Explanation:

Plz Mark Me as brainliest

Answered by Aliyasayyad
0

I haven't understood the question

Similar questions