विद्यार्थी जीवन पर अनुच्छेद 15 से 20 पंक्तियां
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विद्यार्थी जीवन मानव जीवन का यह सुनहला समय है जिसमें वह विद्यालय में ज्ञानोपार्जन के लिए जाता है . यह जीवन प्रथम पच्चीस वर्ष तक माना जाता है . बच्चे इसी समय सीखते हैं . इस समय में वह जो कुछ भी सीख पाटा है वही उसके भविष्य का मार्ग दर्शन करता है . प्राचीन काल में विद्यार्थी विद्या का अर्जन दूसरे तरीके से करता था . उस समय में उसे घर छोड़कर जंगलों या आश्रमों में गुरूओं के यहाँ पढना पढता था .
विद्यार्थी जीवन मानव जीवन का यह सुनहला समय है जिसमें वह विद्यालय में ज्ञानोपार्जन के लिए जाता है . यह जीवन प्रथम पच्चीस वर्ष तक माना जाता है . बच्चे इसी समय सीखते हैं . इस समय में वह जो कुछ भी सीख पाटा है वही उसके भविष्य का मार्ग दर्शन करता है . प्राचीन काल में विद्यार्थी विद्या का अर्जन दूसरे तरीके से करता था . उस समय में उसे घर छोड़कर जंगलों या आश्रमों में गुरूओं के यहाँ पढना पढता था .