Hindi, asked by shabykhan, 6 months ago

विद्यार्थी जीवन तथा राजनीति दो अलग क्षेत्र है।विद्यार्थियों को राजनीति मे भाग नही लेना चाहिए। कथन के पक्ष मे अपने विचार व्यक्त कीजिए।

please give a proper answer
for debate competion

Answers

Answered by vasudevshastri37
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Answer:

विद्यार्थियों का राजनीति में भाग लेने का प्रश्न हमेशा ही विवाद का विषय रहा है । यह बहुत ही विवादास्पद समस्या है । समाज के दो वर्गो द्वारा दो परस्पर विरोधी मत व्यक्त किए जाते रहे हैं ।

दोनो वर्ग अपने तर्कों के श्रेष्ठ होने के बारे में समान रूप से आश्वस्त हैं । विद्यार्थियों, अध्यापकों, राजनीतिज्ञों और विद्यार्थी समुदाय के अन्य शुभचिन्तकों के बीच वाद-विवाद होता रहता है । उनके भरपूर प्रयासों के बावजूद भी इस सम्बन्ध में अभी तक कोई सन्तोषजनक और विश्वास योग्य हल नहीं निकल पाया है ।

जो लोग राजनीति में विद्यार्थियों के भाग लेने का विरोध करते है वे अपना पक्ष जोरदार रूप से प्रस्तुत करते हैं । उनका तर्क यह है कि राजनीति एक गन्दा खेल है । इससे दल और पार्टियाँ बन जाती है, जिससे स्थायी शत्रुता पैदा हो जाती है ।

इससे विद्यार्थियों के मन की शांति समाप्त हो जाती है । विद्यार्थियों का मुख्य कार्य यह है कि वे एकाग्रचित होकर अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें । एक विद्यार्थी से आशा की जाती है कि वह तपस्या का जीवन व्यतीत करे, वह न तो राजनीति जैसी ऐय्याशी में भाग ले सकता है न ही उसे भाग लेना चाहिए ।

राजनीति विद्यार्थी के अध्ययन में अत्यधिक हस्तक्षेप करती है । राजनीति में रूचि रखने से विद्यार्थी को हड़तालों, प्रदर्शनों और जुलूसों में सक्रिय रूप से भाग लेना पड़ता है । कई बार उसे कॉलेज के अधिकारियों अथवा पुलिस के साथ गंभीर झगड़ा करना पड़ सकता है । हो सकता है वह बन्दी भी बना लिया जाए ।

इन सब बातों से उसके अध्ययन में व्यवधान पड़ सकता है और परिणामस्वरूप उसका जीवन अंधकारमय हो सकता है । वह जीवन के वास्तविक प्रयोजन को खो बैठता है और बिगड़ जाता है । इस प्रकार राजनीति में भाग लेने से विद्यार्थी का भविष्य अन्धकारमय हो सकता है और बाद में वह हड़तालों, प्रदर्शनों और नारेबाजी के सिवा किसी भी प्रयोजन के लिए अनुपयोगी बन जाता है ।

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