विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध लिखे अनुशासन का अर्थ 150
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विद्यार्थी के लिए जितनी पढ़ाई-लिखाई आवश्यक है उतना ही अनुशासन होना जरूरी है क्योंकि बिना अनुशासन के पढ़ाई की कल्पना नहीं की जा सकती है.
विद्यार्थी एक खाली कागज़ की तरह होता है जिसमें कुछ भी लिखा जा सकता है. अगर विद्यार्थी को उस समय सही शिक्षा और उचित संगत नहीं मिलती है तो वह अपने लक्ष्य से भटक सकता है और गलत कार्य की राह पकड़ सकता है इसलिए विद्यार्थी जीवन में अनुशासन की महत्वता और भी बढ़ जाती है.
विद्यार्थी की हमारे देश की भावी पीढ़ी है जो कि आगे जाकर हमारे देश का निर्माण करेगी. लेकिन विद्यार्थियों को अनुशासन में रहना नहीं पता होगा तो वे देश का निर्माण करने की वजह उसका नाश भी कर सकते है.
विद्यार्थी वर्ग देश की युवा शक्ति होता है अगर किसी देश की युवा शक्ति ही गलत रहा है और गलत संगत में हो तो उस देश का उद्धार होना संभव नहीं है.
Vidyarthi जीवन ही एक व्यक्ति के पूरे जीवन की आधारशिला होती है अगर यह आधारशिला ही कमजोर होगी तो आगे का भविष्य कठिनाइयों से भरा होगा और असफलता का मुंह भी देखना पड़ सकता है. यह जीवन की कड़वी सच्चाई है लेकिन आजकल लोग इस बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे है.
वर्तमान समय में किसी भी व्यक्ति के पास एक दूसरे के लिए समय ही नहीं है अभिभावक भी अपनी नौकरी पेशा जिंदगी के कारण अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते है जिस कारण उनके बच्चे अकेले पड़ जाते है. और बच्चे अपना अकेलापन दूर करने के लिए TV, मोबाइल, इंटरनेट का सहारा लेते है.
बच्चों को यह नहीं पता होता है कि TV, मोबाइल और इंटरनेट को काम में कैसे लिया जाता है इसलिए उनकी राय भटकने का और अनुशासनहीनता का खतरा बना रहता है. वर्तमान में यह स्थिति और भी भयावह हो गई है अभिभावकों और शिक्षकों के विद्यार्थियों पर सही से ध्यान नहीं देने के कारण विद्यार्थी को संगति में पड़ रहे है.
यह हमारे देश और समाज के लिए बहुत घातक है. विद्यार्थियों की सही प्रकार से देखभाल नही होने के कारण उनमे चिड़चिड़ापन बढ़ गया है और कुछ विद्यार्थी गुमसुम से अवसाद में रहने लगे है. यह सब सिर्फ अनुशासनहीनता के कारण हो रहा है.
Anushasan नहीं होने के कारण वर्तमान में आपने देखा होगा कि लोगों को किसी भी कार्य के लिए आसानी से भड़काया जा सकता है. उनमें अनुशासन नहीं होने के कारण हुई बिना किसी बात की सत्यता की परख किए बिना ही उसका विरोध करने लग जाते है. इन सब का कारण अनुशासन नहीं होना ही है.
विद्यार्थी के लिए अनुशासन का रूप यह है कि वह नियमित रूप से अपने विद्यालय जाए, अपने शिक्षकों का सदा आदर करें एवं उनकी कही हुई बातों को अमल में लाएं, विद्यालय के सभी विद्यार्थियों के साथ अच्छा व्यवहार करें उनके साथ मेलजोल बढ़ाकर प्रेम पूर्वक रहें. अपने से बड़े लोगों का हमेशा सम्मान करें, पढ़ाई करते समय अपना ध्यान कहीं और न लगाएं हमेशा एकाग्रता से पढ़ाई करें, अपने माता-पिता का सम्मान करें और उनके कहे अनुसार कार्य करें.
विद्यार्थियों में हमेशा धैर्य और संयम होना चाहिए जोकि अनुशासन से ही आता है क्योंकि अगर Vidyarthi अपना कार्य समय पर करेंगे और नियमित रूप से करेंगे तो उन्हें हमेशा धैर्य और संयम बना रहेगा अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो वह हर कार्य को जल्दी निपटाना चाहेंगे जिससे उनमें धैर्य और संयम नहीं रह पाएगा जो कि आगे जाकर उनके जीवन के लिए हानिकारक होगा.
Vidyarthiyo को हमेशा अनुशासन में रहकर ही पढ़ाई करनी चाहिए अगर के अनुशासन का पालन नहीं करते हैं तो कुछ अनुशासनहीन विद्यार्थी उन्हें अपने साथ शामिल कर कर गलत प्रवृतियों में ले जाते है, जिस का आभास उनके माता-पिता को भी नहीं होता है.
और कुछ समय बाद वह विद्यार्थी इतने अनुशासनहीन हो जाते हैं कि वह विद्यालय आना छोड़ देते है और उनका भविष्य खराब हो जाता है इसलिए एक अच्छे विद्यार्थी को हमेशा पढ़ाई के ऊपर ध्यान रखना चाहिए और अपने से बड़ों की बातों का पालन करना चाहिए.
विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता के लिए कुछ हद तक हमारे देश की परिस्थितियां भी हैं क्योंकि हमारे देश में ज्यादातर स्कूलों में अधिक संख्या में विद्यार्थियों एक ही कमरे में पढ़ाया जाता है जिसके कारण शिक्षक सभी विद्यार्थियों पर ध्यान नहीं दे पाता है.
परिणाम स्वरुप आधे विद्यार्थी बातों में लगे रहते है जिसके कारण उनकी पढ़ाई नहीं हो पाती है और शिक्षक द्वारा दिया गया ज्ञान भी उन्हें नहीं मिल पाता है जिसके कारण वह अनुशासनहीन हो जाते है.
विद्यार्थियों को बचपन से ही अनुशासन में रहना सिखाना चाहिए जिससे उनमें अच्छे गुणों का विकास हो सके और भविष्य में में किसी भी प्रकार की कठिनाई में हो और आगे जाकर वे एक सफल व्यक्ति के रूप में अपनी पहचान बना सकें.
अनुशासन के अभाव से हानियाँ
(1) अनुशासन के अभाव में विद्यार्थी एकाग्रता पूर्वक पढ़ाई नहीं कर पाता है.
(2) अनुशासन के अभाव के कारण Vidyarthiचिड़चिड़ा रहने लगता है.
(3) इसके कारण विद्यार्थी वह कुसंगति में पड़ जाता है जिससे उसका भविष्य खतरे में पड़ जाता है.
(4) वह हर कार्य को जल्दी करना चाहता है बिना कुछ सोचे समझे उसमें धैर्य और संयम लगभग खत्म सही हो जाता है.
(5) वह अपने से बड़े लोगों का आदर नहीं करता है.
(6) वह बड़े-बड़े सपने तो देखता है लेकिन फोन में सफल नहीं हो पाता है क्योंकि अनुशासन के अभाव के कारण वह उस कार्य को कभी भी पूर्ण नहीं कर पाता है.
(7) अनुशासन के अभाव के कारण विद्यार्थी काम चोरी करने लगता है इसका मतलब है कि वह विद्यार्थी को दिया जाने वाला कार्य नहीं करता है और बहाने बनाने लगता है.
(8) अनुशासन के अभाव के कारण उसकी शिक्षा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
(9) अनुशासन नहीं होने के कारण विद्यार्थी परीक्षा में सफल नहीं हो पाता है और निराश हो जाता है जिसके परिणाम बहुत बुरे हो सकते है.
(10) अनुशासनहीनता के कारण वह उपद्रव प्रवृत्ति का बन जाता है.
(11) अनुशासनहीन विद्यार्थी छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा होने लग जाता है.
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