विद्यार्थियों ! न बुरा सुनना, न बुरा देखना और न बुरा बोलना । इस सावधानी को अपनाने से
तुम्हारे जीवन की सफलता और तुम्हारे मन में हर्षोल्लास का बना रहना निश्चित है । जिसके
चरित्र का पतन हो जाता है, उसका मन कभी- भी शांत और संतुष्ट नहीं होता क्योंकि उसकी
आत्मा सदा ही उसे लानत देती तथा कोसती रहती हैं । तब ऐसे जीवन का क्या लाभ जिसमें
आत्म-ग्लानि मनुष्य के साथ परछाईं की तरह उसके पीछे लगे रहे ? अत: विद्यार्थियों ! आज
से अपने मन में यह दृढ़ संकल्प करो कि जो दिन बीत गए सो बीत गए, परंतु आज से हम जीवन
रूपी पुस्तक का नया अध्याय खोलेंगे । शांत और सुखी जीवन व्यतीत करने का प्रयास करंगे ।
प्रश्न.१.इस गद्यांश के लिए उचित शीर्षक लिखिए ।
प्रश्न.२. विद्यार्थियों को अपने जीवन में क्या – क्या सावधानी अपनानी चाहिए ?
प्रश्न.३. विद्यार्थी आज से क्या दृढ़ संकल्प करेंगे ?
प्रश्न.४.चरित्र के पतन का क्या परिणाम होता है ?
प्रश्न.५.इस गद्यांश से हमें क्या संदेश मिलता है ?
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Explanation:
प्रश्न 1 इस गद्यांश का शीर्षक है ना बुरा सुनो ना बुरा देखो ना बुरा बोलो ।
प्रश्न 2विद्यार्थियों को अपने जीवन में ना पूरा सुनने की ना बुरा देखने की तरह ना बुरा बोलने की संविधान अपनाना चाहिए ।
प्रश्न 3 विद्यार्थी अपने मन में यह दृढ़ संकल्प कर करो कि जो दिन बीत गई सो बीत गए परंतु आज में हम जीवन रूपी पुस्तक का नया अध्याय खोलेंगे ।
प्रश्न 4 इस गद्यांश में हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा नए कार्य करने की शुरुआत में रहना चाहिए तथा हमें बुरी काम तथा पूरे बातों को भूलकर ने दिन के लिए आयोजित होना चाहिए।
धन्यवाद
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