विद्युत संयोजी आबंध से क्या तात्पर्य है
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Answer:
विद्युत् संयोजी बंध :-
इस प्रकार के बंध में एक परमाणु से दूसरे परमाणु पर इलेक्ट्रॉनो का स्थानान्तरण होता है। परमाणुओं के मध्य इलेक्ट्रॉनों के स्थानान्तरण से बने रासायनिक बंध आयनिक या विद्युत् संयोजी बंध कहलाते हैं। जिस परमाणु के बाह्यतम कोश में अष्टक अपूर्ण रहता है अर्थात् 8 से कम इलेक्ट्रॉन होते हैं। वह अपना अष्टक पूरा करने की प्रवृत्ति रखता है। इसके लिए अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर अथवा इलेक्ट्रॉन त्याग करके अष्टक पूरा कर स्थायी अवस्था प्राप्त करने का प्रयास करता है।
उदाहरण :-
क्लोरीन परमाणु जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 7 है , अपने बाह्यतम कोश में एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर अपना अष्टक पूरा कर स्थायित्व प्राप्त करता है।
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• •Cl• -------e----------> [••Cl••]-
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2,8,7. 2,8,8
क्लोरीन परमाणु। क्लोरीन आयन
Explanation:
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