Hindi, asked by sarvathirupathi87, 5 months ago

विदूयाथी गदूयाश का उपयुकत शीषक लिकिए​

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Answered by visheshprajapati
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विदूयाथी गदूयाश का उपयुकत शीषक लिकिए

Answered by scientist331
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क्या हम बिना क्रोध किए, शांत रह सकते हैं? बात तो क्रोध करने की हो, पर अपने को शांत रखना ही योग है। इस महायोग की प्रवृत्ति हम स्वयं पैदा कर सकते हैं। महत्वपूर्ण है कि हम एकांत में बैठे -आस्था रखें कि हाँ मुझे शांत रहना है। मुझे किसी भी परिस्थिति में, उत्तेजित नहीं होना है- और मैं ऐसा कर सकता हूँ। अतरू ऋ एकाग्रचित होकर दृढ़ संकल्प शक्ति द्वारा हम शांत रहने की प्रवृत्ति अपना कर क्रोध कर काबू पा सकते हैं। शांत रहने का मार्ग अपनाने पर, हमारी दुनिया बदल जाएगी और जीवन अधिक आनंदमय । लगेगा। हमारे चेहरे पर नई चमक, कार्य में नया उत्साह, हृदय में निर्मलता एवं शीतलता का स्वयं अनुभव होने लगेगा। बिना श्रम के, बिना किसी खर्च के और किसी उपचार के बिना ही पाचनक्रिया स्वतः ठीक होने पर, छोटे-मोटे रोग दूर भाग जाएँगे। खीजना, गुस्सा करना, चीखना-चिल्लाना और बड़बड़ाते रहना, हमारे मन के गुब्बार – को ही परिलक्षित करते हैं। इनसे हमारी पहचान पर धब्बा लग जाता है और हमारे ओजस्वी चेहरे पर चिंता की रेखाएँ उभर आती हैं। अगर हम कुछ समय निकाल कर, पूर्ण समर्पण के साथ शांत रहने की आदत डालें तो निश्चय ही सफलता हमारे कदम चूमेगी। शांत रहने की प्रक्रिया में, यदि हम रात्रि को शयनकक्ष में जाने से पूर्व, अपनी व्यक्तिगत दैनन्दिनी (डायरी) में दिन भर की वे घटनाएँ लिखते रहें जब हम शांत नहीं रह सके कुछ दिनों बाद वही दैनन्दिनी पढ़ने पर आप अपनी तब की कमजोरी पर स्वयं हँस पड़ेंगे। कितनी छोटी बात । पर हम क्रोध करने लगते हैं। आओ हम गुस्सा व उत्तेजना को फेंक दें और शांत रहना शुरू करें।

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