विद्यायाः बुद्धिरुत्तमा’ इति कथायाः सारं हिन्दीभाषायां लिखत।
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Answer:
घटनाक्रमानुसारं वाक्यानि लिखत
(क) लप्स्यन्ते ते धूर्ततायाः फलम्।
(ख) तस्य मनः प्रियायामेव अनुरक्तः आसीत्।
Explanation:
घटनाक्रमानुसारं वाक्यानि लिखत
(क) लप्स्यन्ते ते धूर्ततायाः फलम्।
(ख) तस्य मनः प्रियायामेव अनुरक्तः आसीत्।
Answer:
विद्यायाः बुद्धिरुत्तमा’ इति कथायाः सारं हिन्दीभाषायां लिखत।
एतत् प्रस्नस्य उत्तरम् अस्ति -
कथा का सार पञ्चतंत्र से संकलित प्रस्तुत कथा में विद्या की अपेक्षा बुद्धि की श्रेष्टता को बताया गया है। कथा के अनुसार किसी गाव में चार ब्रह्मणपुत्र आपस में मित्रता से रहते थे। उनमे से तीन शास्त्रों मे विद्वान् किन्तु बुद्धि से रहित थे। एक बुद्धिमान् था किनतु शास्त्र से विमुख। एक बार वे चार आपस मे विचार करके अपने विद्या के द्वारा धन कमाने के लिये विदेश की ओर चल दिये। रास्ते मे उनमे से बडे ने कहा कि हमारे मे से एक असिक्षित है। केवल बुद्धि के बल से बिना विद्या के राजा से दान प्राप्त नहीं किया जा सक्ता।
तब एक ने कहा कि आज हमे विद्या की परीक्षा करनी चाहिये। इसके बाद एक ने हड्डियों को एकत्रित किया, दूसरे ने उसमे चमडी, मास आगि को जोड कर खडा किया। जैसे हि तीसरा उसे जीवित करने लगा, तभि चौथे सुबुद्धि ने उन्हे मना करते हुए कहा कि यह सिंह है यदि इसे जीवित करोगे तो यह सभी को खा जाेगा। जीवित होते हि उस सिंह ने उन तीनो को मार दिया। अत: बुद्धि से हीन विनाश को प्राप्त होते है।
Explanation:
एतत् प्रस्न संस्कृत पाठ्यपुस्तक रञ्जनी कक्षा अष्ट: पाठ: द्वे विद्याया: बुद्धिरुतमया अस्ति।