विद्यर्थि इं संकेत बिन्दुओं पर अनुच्छेद लिखें मित्रता संकेत बिंदु -आवश्यकता , मित्र कैसे बनाए ,लाभ
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Answer:
ache se bat krke apne mitra ka bharosa jite aur mitra banaye
Explanation:
मनुष्य अपने स्वभाव के औरों के साथ मिलजुलकर जीने वाला प्राणी हैं. उसके अन्य लोगों के साथ रिलेशन का सिलसिला जन्म के साथ ही शुरू हो जाता हैं. वह इन सम्बन्धों का निर्वहन करते हुए सम्पूर्ण जीवन कभी सुख तो कभी दुःख के साये में व्यतीत कर देता हैं. मानव कभी अपने पन से तो कभी मातृत्व भावों को जगाकर या अनुभव कर या प्रेमिक सम्बन्ध के सहारे जीवन जीता हैं.
व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन तक ये सम्बन्धों कभी जेवर बनकर काम आते है तो कभी कभी बोझ बनकर इंसान को झुका देते हैं. ऐसे ही सम्बन्धों में मित्रता भी एक अहम सम्बन्ध हैं जो बालपन से आरम्भ होकर अंतिम साँस तक बनाई और निभाई जाती हैं.अन्य पारिवारिक एवं रक्त सम्बन्धों की तुलना में मित्रता इसलिए अहम है क्योंकि यह लोभ से परे होने के साथ ही आनन्द की खान एवं ईमानदारी एवं सच्चाई के पीलर के सहारे आगे बढ़ती हैं. किन्तु एक सच्चे मित्र की पहचान विपरीत समय आने पर ही होती हैं. बालपन की दोस्ती अधिक पवित्र, लोभ रहित तथा आनन्द से परिपूर्ण होती हैं. बालकपन की मित्रता मनभावन होती हैं किन्तु किशोरावस्था में यह गंभीर, दृढ तथा शांत स्वरूप धारण कर लेती हैं.
अक्सर एक आदर्श मित्र का भरोसा किसी पर कर देने से लोग मित्रता की कसोटी पर खरे नहीं उतर पाते हैं. जो मित्रता धन, दौलत, रूप, प्रतिभा आदि के वशीभूत होकर की जाती हैं, वह एक दिन निश्चय ही एक गलती के रूप में हमारे समक्ष उपस्थित होती हैं. युवावस्था में मित्रता का गुण बेहद कम हो जाता हैं जिन्हें भी मित्र बनाया जाता हैं बेहद सतर्कता के साथ यह सम्पन्न किया जाता हैं, क्योंकि इस उम्रः में पड़ी दोस्ती की नीव ताउम्र रहती हैं.
जब धन दौलत, सम्मान का आगमन हो और जीवन में विकास की राहे खुली हो तो सुख के इन दिनों में कभी न जान पहचान वाले भी अपनत्व का भाव दिखाते हैं. मगर जो व्यक्ति इनके न रहने के बाद भी हमारा साथ देता हो, हमें हिम्मत देता हो, मुश्किल घड़ी में हमें भरोसा दिलाता हो वही सच्चा मित्र होता