विदयालय में मनाए जाएं वन महोत्सवका वृत्लान लेखन
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मनुष्य औद्योगीकरण और शहरीकरण इत्यादि के कारण पेड़ो की निरंतर कटाई कर रहा है। मनुष्य अपने आश्रय के लिए अपना आशियाना बना रहे है। उद्योगों के विकास और विद्यालय, शॉपिंग मॉल इत्यादि के निर्माण के लिए वनो की अंधाधुंध कटाई की जा रही है।
पेड़ो के अत्यधिक कटाई के कारण पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है। वन उन्मूलन एक बहुत बड़ी समस्या है। मनुष्य उन्नति की आड़ में वनो की लगातार कटाई कर रहा है, जिससे जीव जंतुओं को तकलीफो का सामना करना पड़ रहा है।
वृक्षों से मनुष्यो को औषधि, लकड़ी, फल, चन्दन और कई प्रकार के अनगिनत चीज़ें प्राप्त होती है। वनो को इस प्रकार काटने से प्राकृतिक आपदाओं को न्यौता मिल रहा है। वनो को काटने से पृथ्वी नष्ट हो रही है और अगर ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन सब कुछ समाप्त भी हो जाएगा।
पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है और इसका एक और कारण है निरंतर प्रदूषण। वृक्ष वायु प्रदूषण को नियंत्रित कर सकते है। वृक्षों से हमे ऑक्सीजन प्राप्त होता है। अगर वृक्ष नहीं होंगे तो ऑक्सीजन नहीं होगा, तो हम सब प्राणियों का जीवित रहना मुश्किल हो जाएगा। अब भी समय है कि हम जागरूक हो जाए और वृक्षारोपण करे और वनो को संरक्षित करे।
वन महोत्सव क्या है?
पेड़ों के महत्व को समझते हुए वन महोत्सव को मनाया जाता है। वन महोत्सव की शुरुआत सन 1950 में हुयी थी। इसे जंगलों के संरक्षण और उसे बचाने के इरादे से किया गया था। वनों की कटाई के बुरे प्रभाव पृथ्वी पर पड़ रहे है। इसी के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए एक बड़ी पहल की गयी थी।
आज भी यह पहल जारी है। वन महोत्सव को प्रत्येक वर्ष जुलाई के पहले सप्ताह में मनाया जाता है। प्राचीन काल से ही गुप्त और मुगल वंशो ने पेड़ो को सुरक्षित करने के लिए पहल की थी। जैसे जैसे हमारा देश उन्नति कर रहा है, मनुष्य और अधिक स्वार्थी और लालची बन गया है।
वह यह भूल रहा है कि वह सिर्फ पर्यावरण को ही नहीं बल्कि खुद को भी नष्ट कर रहा है। सन 1947 से ही वनो को सुरक्षित रखने के प्रयत्न किये जा रहे है। वनो को अगर संरक्षित नहीं किया गया तो मानव जाति खतरे में पड़ जायेगी।
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद और मौलाना अब्दुल कलाम ने मिलकर वन महोत्सव को जुलाई के पहले हफ्ते में मनाना आरम्भ किया था। तभी से वन महोत्सव मनाया जाता है। कुछ संस्थाएं मिलकर वृक्षारोपण करके लोगो में जागरूकता फैलाने की कोशिशे कर रही है।
वन महोत्सव के दिन सरकार द्वारा लाखो वृक्ष लगाए जाते है। इसके पीछे का सिर्फ एक ही उद्देश्य है अधिक से अधिक पेड़ हर रोज़ लगाना और लोगो में जागरूकता फैलाना कि वह भी अपने आस पास पेड़ लगाए। जहां हर एक पेड़ काटा गया वहां दस पौधे अवश्य लगाने होंगे। हम इस तरह से अपने प्राकृतिक सुंदरता को नष्ट नहीं कर सकते है।
वर्ष 1947 में इस महोत्सव को अनौपचारिक रूप से लागू किया गया था। उसके पश्चात सन 1950 में इसे कृषि मंत्री कन्हैया लाल मुंशी ने आधिकारिक तौर पर जारी किया। यह एक सकारात्मक और नेक कदम था। अगर यह पहल ना की गयी होती तो जितने वन आज इस धरती पर मौजूद है उतने भी नहीं होते।