विधि का शासन क्या है ब्रिटिश जनता के अधिकारों के रक्षक के रूप में इसकी व्याख्या कीजिए
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¿ विधि का शासन क्या है ब्रिटिश जनता के अधिकारों के रक्षक के रूप में इसकी व्याख्या कीजिए ?
✎... विधि के शासन से तात्पर्य उस संवैधानिस शासन व्यवस्था से है, जिसमे व्यक्तियों के अधिकार में सरकार द्वारा कोई भी हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। केवल संवैधानिक विधि यानि कानून द्वारा ही उनकी स्वतंत्रता अथवा उनकी संपत्ति पर हाथ लगाया जा सकता है। विधि के आधार पर व्यक्ति चाहे तो सरकार के विरुद्ध न्यायालय की शरण धीरे सकता है, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष होते हैं, और न्यायालय के लिए सरकार और नागरिक दोनों समान है। इस तरह की व्यवस्था को ‘विधि का शासन’ कहा जाता है। ब्रिटिश जनता के अधिकारों की रक्षक के रूप में इसकी व्याख्या इस प्रकार है...
- देश में विधि का शासन की प्रधान और सर्वोपरि है। कोई भी सरकार अपनी मनमानी करने के लिए स्वतंत्र नहीं है। उसको व्यक्ति के व्यक्तिगत अधिकारों का हनन करने का कोई अधिकार नहीं है। कोई भी व्यक्ति किसी अपराध के लिये जब तक किसी न्यायालय द्वारा कानूनन दोषी सिद्ध ना हो जाए, तब तक उसे दंड करने का अधिकार किसी भी सरकार को नहीं है।
- कानून के सामने सारे व्यक्ति समान हैं, चाहे वह सरकार हो सरकारी कर्मचारी हों, विशिष्ट अथवा साधारण नागरिक हों। कानून सबके लिए समान है और न्यायालय के अंतर्गत आने वाली प्रक्रियाओं के लिये समान रूप से सब अधीन हैं।
- संविधान नागरिकों अधिकारों का ही परिणाम है। इसका अर्थ नागरिकों के अधिकार द्वारा संविधान निर्धारित ना होकर संविधान नागरिकों के अधिकारों द्वारा निर्धारित हुआ है। नागरिकों के जो भी अधिकार हैं, वह उनके मौलिक अधिकार हैं और उनके अधिकारों के संबंध में जो भी निर्णय लिया जाएगा वह संविधान विधि के आधार पर ही होगा।
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