विधालय के प्रधान अध्यापक को विधालय चलाने के लिए किन किन समसेया का सामना करना पड़ता है
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Kisi bhi samasya ka Nahi
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प्रधानाध्यापक के कर्त्तव्य और उत्तरदायित्व- किसी भी विद्यालय में प्रधानाचार्य का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान होता है, क्योंकि एक रूप में विद्यालय की आन्तरिक व्यवस्था का सम्पूर्ण भार प्रधानाचार्य पर ही होता है। यह पूर्ण सत्य है, जैसा कि शिक्षा आयोग ने लिखा है- “राष्ट्र के भाग्य का स्वरूप विद्यालयों में बनता है।” और इसके साथ यह सत्य है कि इस स्वरूप को साज-संवार कर निर्मित करने का कार्य विद्यालय के प्रधान और शिक्षकों द्वारा पूरा किया जाता है। आयोग ने यह भी लिखा है कि संस्था का स्तर और नैतिकता मुख्य रूप से उसके प्रशासन की योग्यताओं, शासनपूर्णता और दृष्टि पर निर्भर है। विद्यालय में प्रधानाचार्य का केन्द्रीय स्थान है। उसकी इस महत्त्वपूर्ण स्थिति का समर्थन अनेक विद्वानों ने किया है।
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