Social Sciences, asked by dineshgurjar82250040, 3 months ago

: विधानमंडल के दो गैर विधायी कार्यो का वर्णन कीजिए।
अथवा​

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Answered by shailendrasingh59
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Answer:

संसद का मूलभूत कार्य विधियों को बनाना है। सभी विधायी प्रस्‍ताव विधेयकों के रूप में संसद के सामने लाने होते हैं। एक विधेयक प्रारूप में परिनियम होता है और वह तब तक विधि नहीं बन सकता जब तक कि उसे संसद की दोनों सभाओं का अनुमोदन और भारत के राष्‍ट्रपति की अनुमति न मिल जाए।

विधान संबंधी कार्यवाही विधेयक के संसद की किसी भी सभा में पुर:स्‍थापित किए जाने से आरंभ होती है। विधेयक किसी मंत्री या गैर-सरकारी सदस्‍य द्वारा पुर:स्‍थापित किया जा सकता है। मंत्री द्वारा पुर:स्‍थापित किए जाने पर विधेयक सरकारी विधेयक और गैर-सरकारी सदस्‍य द्वारा पुर:स्‍थापित किए जाने पर गैर-सरकारी विधेयक कहलाता है।

विधेयक को स्‍वीकृति हेतु राष्‍ट्रपति के समक्ष प्रस्‍तुत करने से पूर्व संसद की प्रत्‍येक सभा अर्थात लोक सभा और राज्‍य सभा द्वारा तीन बार वाचन किया जाता है।.

प्रथम वाचन

प्रथम वाचन (एक) सभा में विधेयक पुर:स्‍थापित करने हेतु अनुमति के लिए प्रस्‍ताव जिसे स्‍वीकार करने के संबंध में विधेयक पुर:स्‍थापित किया गया है, अथवा (दो) विधेयक के आरंभ होने और अन्‍य सभा द्वारा पारित किए, अन्‍य द्वारा पारित विधेयक को सभा पटल पर रखे जाने की स्‍थिति के बारे में उल्‍लेख करता है।

द्वितीय वाचन

द्वितीय वाचन में दो प्रक्रम हैं। “पहले प्रक्रम” में विधेयक के सिद्धांतों और निम्‍नलिखित में से किन्‍हीं दो प्रस्‍तावों पर सामान्‍यत: इनके उपबंधों पर चर्चा होती है कि विधेयक पर विचार किया जाए, अथवा विधेयक को सभा की प्रवर समिति के पास भेजा जाए; अथवा विधेयक को अन्‍य सभा की सहमति से सभाओं की संयुक्‍त समिति के पास भेजा जाए; अथवा विधेयक को संबंधित विषय पर राय लेने के उद्देश्‍य से परिचालित किया जाए। ‘दूसरे प्रक्रम’ में यथास्थिति सभा में पुर:स्‍थापित अथवा प्रवर अथवा संयुक्‍त समिति द्वारा प्रतिवेदन के अनुसार विधेयक पर खंडवार विचार किया जाता है।

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