विविधता एवं भेदभाव में क्या अंतर है?
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विविधता एवं भेदभाव
आप क्या सीखेंगे
पूर्वाग्रह
धार्मिक भेदभाव
लैंगिक भेदभाव
भेदभाव के खिलाफ लड़ाई
भारत में विविधता के उदाहरण
दुनिया में 8 मुख्य धर्म हैं और भारत में इन सभी धर्मों के अनुयायी रहते हैं। भारत में 1600 से अधिक भाषाएँ और उनसे भी अधिक बोलियाँ बोली जाती हैं। भारत में एक सौ से अधिक प्रकार के नृत्य हैं। भारत के विभिन्न भागों में भित्तिचित्र की विभिन्न शैलियाँ देखने को मिलती हैं।
पूर्वाग्रह
जब कोई किसी के बारे में पहले ही कोई नकारात्मक धारणा बना लेता है तो ऐसी सोच को पूर्वाग्रह कहते हैं। हम अक्सर अपने से भिन्न दिखने वाले लोगों के प्रति कोई न कोई पूर्वाग्रह पाल लेते हैं। यह भिन्नता कई तरह की हो सकती है; जैसे कि शक्ल सूरत, खान-पान, परिधान, बोलने का लहजा, आदि।
ज्यादातर लोगों की आदत होती है कि वे अपने जैसे लोगों के बीच आत्मीयता पाते हैं। जब हमें कोई ऐसा समूह मिल जाता है जो हमारी तरह नहीं होता है तो हमें सुकून नहीं लगता।
भारत की विविधता के कारण यहाँ विभिन्न क्षेत्रों के लोग बिलकुल अलग-अलग दिखते हैं। वे न केवल शक्ल सूरत से अलग दिखते हैं बल्कि उनका खान-पान, बोली और परिधान भी अलग होते हैं। विविधता के कारण होने वाले पूर्वाग्रहों के कुछ उदाहरण नीचे दिये गये हैं।
जब पूर्वोत्तर राज्यों का कोई व्यक्ति दिल्ली में घूमता है तो स्थानीय लोग उसे अजीब नजर से देखते हैं। आपको अक्सर दिल्ली या बंगलोर में पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों को सताये जाने के समाचार सुनने को मिलते होंगे।
जब दक्षिण भारत का कोई भी आदमी उत्तरी भारत में जाता है तो लोग उसे मद्रासी कहकर बुलाते हैं। बिहार के लोगों को अक्सर मंदबुद्धि का समझा जाता है और महानगरों में उसका मखौल उड़ाया जाता है।
गांव से आये व्यक्ति को अक्सर अनपढ़, गंवार और गंदगी पसंद माना जाता है। शहरी आदमी को अक्सर लोभी और चालाक समझा जाता है। लोगों को लगता है कि शहरी आदमी के मन में रिश्तों नातों की कोई इज्जत नहीं होती है।
अधिकतर मामलों में पूर्वाग्रह से कोई नुकसान नहीं होता है। लेकिन कई बार पूर्वाग्रह से ग्रसित बरताव से किसी को भारी नुकसान हो सकता है। जब आप पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर किसी के साथ बुरा बरताव करते हैं तो इससे उस व्यक्ति के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती है।
रूढ़िबद्ध धारणा
जब हम किसी व्यक्ति को एक खास छवि में बांध देते हैं या उसके बारे में पहले से कोई धारणा पाल लेते हैं तो इसे रूढ़िबद्ध धारणा कहते हैं। रूढ़िबद्ध धारणा के कुछ उदाहरण नीचे दिये गये हैं।
आदर्श लड़की: ऐसा माना जाता है कि लड़कियों को धीमी आवाज में बात करनी चाहिए और सब की बात माननी चाहिए। लड़कियों को संगीत और चित्रकला में रुचि लेनी चाहिए। लड़कियाँ बात बात पर रो देती हैं। लड़कियों के लिए जरूरी है कि वे खाना बनाना, साफ सफाई करना और घर के काम काज करना सीखें।
आदर्श लड़का: लड़के नटखट और गुस्सैल होते हैं। लड़कों का मन खेलकूद और भागदौड़ में अधिक लगता है। लड़कों को रोना नहीं चाहिए क्योंकि रोना तो कमजोरी की निशानी है। हर लड़के को बड़े होकर पैसे कमाना होता है और परिवार पालना होता है।
लिंग पर आधारित रूढ़िबद्ध धारणाओं को अक्सर फिल्मों, विज्ञापनों और टेलिविजन धारावाहिकों में दिखाया जाता है। डिटर्जेंट, वाशिंग मशीन, साबुन, आदि के लगभग सभी विज्ञापनों में मुख्य भूमिका में महिला को दिखाया जाता है। मोटरसाइकिल के विज्ञापन में अक्सर किसी पुरुष को स्टंट करते हुए दिखाया जाता है।
लिंग पर आधारित रूढ़िवादी धारणाओं के साथ साथ हमें धर्म, जाति और मूल स्थान के आधार पर भी रूढ़िवादी धारणाएं देखने को मिलती हैं।