विविधता एवं भेदभाव में क्या अंतर है?
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विविधता एवं भेदभाव में अंतर —
विविधता — भारत एक विशाल देश है। इसमें अनेक राज्य हैं। हर राज्य की अपनी भाषा है, अपनी संस्कृति है, हर राज्य का अपना खानपान है, अपना पहनावा है। यह विविधता है और भारत में सब लोग मिलकर अलग-अलग भाषा संस्कृति होने के बावजूद सब लोग मिलकर रहते हैं। यह विविधता में एकता है। विविधता हमें समृद्ध करती है। विविधता सांस्कृतिक दृष्टि से, विचारों की दृष्टि से, सामाजिक दृष्टि से, हमें विस्तार करने की स्वतंत्रता देती है। विविधता सकारात्मकता का प्रतीक है। विविधता हमें अपनी दायरे से बाहर निकलकर और अधिक जानने समझने की प्रेरणा देती है। विविधता समृद्धि का प्रतीक है। विविधता सकारात्मकता है।
भेदभाव — भेदभाव को समझते हैं। भारत में अनेक राज्य हैं। कोई राज्य समृद्ध है। कोई का राज्य गरीब है। उदाहरण के लिए बिहार के राज्य गरीब है तो वहाँ के लोग दूसरे राज्यों में नौकरी की तलाश में जाते हैं, तो उन्हें हेय दृष्टि से देखा जाता है, दिल्ली, मुंबई, गुजरात, पंजाब जैसे राज्यों में उनका मजाक बनाया जाता है। दक्षिण भारतीय राज्यों के लोगों का रंग काला होता है, उत्तर भारतीय में जाने पर मद्रासी कहा जाता है। उत्तर पूर्व के राज्यों की चेहरे की बनावट के कारण उन्हें नेपाली-चीनी करा दे दिया जाता है। उन्हें अपने देश का नागरिक नहीं समझा जाता ये सब भेदभाव के रूप हैं।
हमारे समाज के समाज में लड़का-लड़की में भेदभाव किया जाता है, लड़के को अधिक सुविधाएं मिलती हैं, लड़की को कम सुविधाएं मिलती है। लड़के को घर का चिराग समझा जाता है। लड़की को पराया धन मानकर बोझ समझा जाता है। यह भेदभाव है। भेदभाव हमें पीछे की ओर धकेलता है, हमें अपने दायरे में संकुचित कर देता है। भेदभाव नकारात्मकता का प्रतीक है। अमीरी-गरीबी में भेदभाव, धर्म के नाम पर भेदभाव, जाति के नाम पर भेदभाव, सामाजिक स्थिति के नाम पर भेदभाव, भाषा के नाम पर भेदभाव सब नकारात्मकता के प्रतीक हैं।
Answer:
विविधता प्राकृतिक तौर पर होता है जबकि भेदभाव व्यक्ति खुद करता है विविधता रंग ,रूप आकार के तौर पर होता है जबकि भेदभाव मैं व्यक्ति अपना रंग ,रूप , आकार को सर्वश्रेष्ठ समझता है
Explanation:
this is very good answer by Virat ranjan