व्यंग पूर्ण मुस्कान बिखेरते हुए लक्ष्मण ने परशुराम जी से क्या कहा?
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कुम्हड़बतिया’ (कोंहरा का बतिया यानी कोंहरा का छोटा रूप ) उँगली दिखाने से सड़ जाता है | यहाँ परशुराम लक्ष्मण को तुक्छ समझ कर बार-बार उँगली दिखा रहे थे इसलिए यहाँ कुम्हड़बतिया का उदाहरण दिया गया है |
लक्ष्मण के हँसने का कारण परशुराम की गर्व भरी बातें एवं खुद को परशुराम द्वारा हलके में लेना है ।
परशुरामजी मुनीसु हैं। उन्होंने शिव-धनुष के टूट जाने पर राम को बुरा-भला कहा और बार-बार धनुष दिखाकर दंड देने की बात कही, फलस्वरूप लक्ष्मण अपना पक्ष रखते हुए उनसे बहस कर रहे हैं।
राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित पदों के माध्यम से लक्ष्मण ने वीर योद्धा की विशेषता बताते हुए कहा है कि वीर योद्धा कभी भी धैर्य को नहीं छोड़ता, वह युद्ध भूमि में अपनी वीरता का प्रदर्शन शत्रु से युद्ध करके करता है। बुद्धिमान योद्धा रणभूमि में शत्रु का वध करता है। वह कभी भी अपने मुख से अपनी बड़ाई नहीं करता है। उसकी बढ़ाई तो युद्ध भूमि में उसकी वीरता के कौशल से होती हैं।
राम लक्ष्मण परशुराम संवाद में यह कोई आपका ही दास होगा वाक्य के आधार पर भगवान श्रीराम शील स्वभाव के होने का पता चलता है। परशुराम के क्रोध को शांत करने का प्रयास करते हुए राम ने बड़ी ही विनम्र, सील स्वभाव से कहा कि शिव धनुष को तोड़ने वाला आपका कोई दास होगा-ऐसा कहने से यह पता चलता है कि राम शांत, विनम्र स्वभाव के हैं। उनकी वाणी में मधुरता का गुण विद्यमान हैं। वे जानते थे कि भगवान परशुराम को विनम्रता से ही समझाया जा सकता है।
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लक्ष्मण ने परशुराम के वीर-वेश का मजाक उड़ाते हुए कहा-मुनि जी! यदि आप भी वीर योद्धा हैं तो हम भी कोई छुईमुई के फूल नहीं हैं जो तर्जनी देखते ही मुरझा जाएँगे। हम आपसे टक्कर लेंगे; और सच कहूँ! मैंने आपके हाथ में धनुष-बाण देखा तो लगा कि सामने कोई ढंग का योद्धा आया है। उससे दो-दो हाथ करूं। इसीलिए मैंने आपके सामने कुछ अभिमानपूर्वक बातें कही थीं। मुझे पता होता कि आप कोरे मुनि-ज्ञानी हैं तो मैं भला आपसे क्यों भिड़ता। आशय यह है कि परशुराम मुनि-ज्ञानी हैं। उनका वीर-वेश ढोंग है।
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