व्यंग्य लेखन के क्या उद्देश्य हैं
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किसी भी व्यंग्य में हास हो सकता है पर वह मात्र कथ्य को रोचक बनाने के लिये हो सकता है, व्यंग्य का उद्देश्य कभी हॅंसाना नहीं होता । इसमें नयी बात क्या है व्यवस्था और समाज के चरित्र पर व्यंग्य है , आम और खास का फर्क, स्त्री और पुरुष का फर्क यही सब दिखाने की कोशिश इस व्यंग्य में है .
व्यंग्य लेखन के अनेक उद्देश्य होते हैं। अक्सर व्यंग्य लेखक मनोरंजन के लिए व्यंग्य लेखन करता है। वह किसी घटना या कहानी को इस तरह मनोरंजनात्मक रूप में प्रस्तुत करता है, कि उसे पढ़कर पाठक के मन में गुदगुदी पैदा हो। इस तरह के व्यंग्य लेखन का उद्देश्य पाठक को हास-परिहास युक्त मनोरंजन प्रदान करना है।
दूसरे तरह के व्यंग्य लेखन में समाज की विसंगतियों और समाज की बुराइयों या अन्य किसी सामाजिक अथवा राजनीतिक व्यवस्था पर व्यंगात्मक एवं चुटीले अंदाज में लिखता है। ताकि समस्या को उठाया जा सके। कभी कभी किसी बात को व्यंग्यात्मक तरीके से कहने पर पाठक के मन मस्तिष्क पर गलत असर पड़ता है और वह पाठक के मन मस्तिष्क पर अलग छाप छोड़ती है।
इसलिए व्यंग्य लेखन विभिन्न उद्देश्यों से लिखा जाता है। इनमें हास परिहास, सामाजिक परिस्थितियों पर कटाक्ष, राजनीतिक कटाक्ष, सामाजिक विसंगतियों पर कटाक्ष अथवा कोई मजाक-मनोरंजन का उद्देश्य भी हो सकता है।