India Languages, asked by gurmeetsareen82291, 10 months ago

व्याघ्रः तद् वृत्तान्तं प्रदर्शयितुं तस्मिन् जाले प्राविशत्। लोमशिका पुनः अकथयत्-सम्प्रति पुनः पुनः कूर्दनं कृत्वा दर्शय। सः तथैव समाचरत्। अनारतं कूर्दनेन सः श्रान्तः अभवत्। जाले बद्धः सः व्याघ्रः क्लान्तः सन् नि:सहायो भूत्वा तत्रे अपतत् प्राणभिक्षामिव च अयाचत। लोमशिका व्याघ्रम् अवदत् ‘सत्यं त्वया भणितम्’ ‘सर्वः स्वार्थं समीहते।’

शब्दार्थ : तद्-उस। वृत्तान्तम्-पूरी कहानी। प्रदर्शयितुम्-प्रदर्शन करने के लिए। प्राविशत्-प्रवेश किया। सम्प्रति-अब (इस समय)। कूर्दनम्-उछल-कूद। दर्शय-दिखाओ। तथैव-वैसे ही। समाचरत्किया। अनारतम्-लगातार। कूर्दनेन-कूदने से। श्रान्तः-थका हुआ। बद्धः-बँधा हुआ। सन्-होता हुआ। नि:सहायः-असहाय। प्राणभिक्षामिव-प्राणों को भिक्षा की तरह। भणितम्-कहा गया।

सरलार्थः बाघ उस बात को बताने (प्रदर्शन) करने के लिए उस जाल में घुस गया। लोमड़ी ने फिर कहा-अब बार-बार कूद करके दिखाओ। उसने वैसे ही किया। लगातार कूदने से वह थक गया। जाल में बँधा हुआ वह बाघ थककर असहाय (निढाल) होकर वहाँ गिर गया और प्राणों को भिक्षा की तरह माँगने लगा। लोमड़ी बाघ से बोली- तुमने सत्य कहा’ ‘सभी अपना हित (स्वार्थ) साधना (पूरा करना) चाहते हैं।’

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Answered by kaminipandey9095
2

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why you write this ? .......

Answered by mahtokrishkumar030
0

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वटुरूपेण तपोवनः कः प्राविशत्?

कृष्णः

लक्ष्मणः

शिवः

नारथः

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