Hindi, asked by shilpasen1306, 5 months ago

व्याज स्तुति एवं ब्याज निंदा अलंकार का उदाहरण सहित समझाइए l​

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Answered by anitasingh30052
10

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ब्याजस्तुति अलंकार

काव्य में जहाँ देखने, सुनने में निंदा प्रतीत हो किन्तु वह वास्तव में प्रशंसा हो,वहाँ ब्याजस्तुति अलंकार होता है।

दूसरे शब्दों में - काव्य में जब निंदा के बहाने प्रशंसा किया जाता है , तो वहाँ ब्याजस्तुति अलंकार होता है ।

उदाहरण 1 :-

गंगा क्यों टेढ़ी -मेढ़ी चलती हो?

दुष्टों को शिव कर देती हो ।

क्यों यह बुरा काम करती हो ?

नरक रिक्त कर दिवि भरती हो ।

स्पष्टीकरण - यहाँ देखने ,सुनने में गंगा की निंदा प्रतीत हो रहा है किन्तु वास्तव में यहाँ गंगा की प्रशंसा की जा रही है , अतः यहाँ ब्याजस्तुति अलंकार है

ब्याजनिंन्दा अलंकार

काव्य में जहाँ देखने, सुनने में प्रशंसा प्रतीत हो किन्तु वह वास्तव में निंदा हो,वहाँ ब्याजनिंदा अलंकार होता है।

दूसरे शब्दों में - काव्य में जब प्रशंसा के बहाने निंदा किया जाता है , तो वहाँ ब्याजनिंदा अलंकार होता है ।

उदाहरण 1 :-

तुम तो सखा श्यामसुंदर के ,

सकल जोग के ईश ।

स्पष्टीकरण - यहाँ देखने ,सुनने में श्रीकृष्ण के सखा उध्दव की प्रशंसा प्रतीत हो रहा है ,किन्तु वास्तव में उनकी निंदा की जा रही है । अतः यहाँ ब्याजनिंदा अलंकार हुआ ।

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Answered by sahumeenal780
1

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