Hindi, asked by itspritimailme, 7 months ago

व्यंजन संधि के नियम 2-2उदाहरण सहित​

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Answered by harshraut2004
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Answer:

व्यंजन संधि के नियम :

व्यंजन संधि के कुल 13 नियम होते हैं जो कि निम्न है :

नियम 1:

जब किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मिलन किसी वर्ग के तीसरे या चौथे वर्ण से या (य्, र्, ल्, व्, ह) से या किसी स्वर से हो जाये तो क् को ग् , च्को ज् , ट् को ड् , त् को द् , और प् को ब् में बदल दिया जाता है।

अगर व्यंजन से स्वर मिलता है तो जो स्वर की मात्रा होगी वो हलन्त वर्ण में लग जाएगी।

लेकिन अगर व्यंजन का मिलन होता है तो वे हलन्त ही रहेंगे।

उदाहरण :

उदाहरण :क् का ग् में परिवर्तन :

उदाहरण :क् का ग् में परिवर्तन :वाक् +ईश : वागीश

उदाहरण :क् का ग् में परिवर्तन :वाक् +ईश : वागीशदिक् + अम्बर : दिगम्बरदिक् + गज : दिग्गजट् का ड् में परिवर्तन :षट् + आनन : षडाननषट् + यन्त्र : षड्यन्त्रषड्दर्शन : षट् + दर्शनत् का द् में परिवर्तन : सत् + आशय : सदाशय तत् + अनन्तर : तदनन्तर उत् + घाटन : उद्घाटनप् का ब् में परिवर्तन :अप् + ज : अब्जअप् + द : अब्द आदि।

नियम 2:

अगर किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मिलन न या म वर्ण ( ङ,ञ ज, ण, न, म) के साथ हो तो क् का ङ्, च् का ज्, ट् का ण्, त् का न्, तथा प् का म् में परिवर्तन हो जाता है।

उदाहरण :

उदाहरण :क् का ङ् में परिवर्तन :

उदाहरण :क् का ङ् में परिवर्तन :दिक् + मण्डल : दिङ्मण्डल

उदाहरण :क् का ङ् में परिवर्तन :दिक् + मण्डल : दिङ्मण्डलवाक् + मय  : वाङ्मय

उदाहरण :क् का ङ् में परिवर्तन :दिक् + मण्डल : दिङ्मण्डलवाक् + मय  : वाङ्मयप्राक् + मुख : प्राङ्मुख

उदाहरण :क् का ङ् में परिवर्तन :दिक् + मण्डल : दिङ्मण्डलवाक् + मय  : वाङ्मयप्राक् + मुख : प्राङ्मुखट् का ण् में परिवर्तन :षट् + मूर्ति : षण्मूर्तिषट् + मुख : षण्मुखषट् + मास : षण्मासत् का न् में परिवर्तन :उत् + मूलन : उन्मूलनउत् + नति :  उन्नतिजगत् + नाथ : जगन्नाथ

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