व्याकरण किसे कहते हैं तथा उसके कितने अंक होते हैं
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व्याकरण उस शास्त्र को कहा जाता हैं, जिसमे भाषा के शुद्ध करने वाले नियम बताए गए हो। ... किसी भी भाषा के अंग प्रत्यंग का विश्लेषण तथा विवेचन व्याकरण (ग्रामर) कहलाता है। व्याकरण वह विद्या है जिसके द्वारा किसी भाषा को शुद्ध बोला, पढ़ा और शुद्ध लिखा जाता है। किसी भी भाषा के लिखने, पढ़ने और बोलने के निश्चित नियम होते हैं।
इस आधार पर व्याकरण के तीन अंग होते हैं वर्ण विचार, शब्द विचार एवं वाक्य विचार। वर्ण विचार के अन्तर्गत वर्णों से संबंधित उनके आकार, उच्चारण, वर्गीकरण तथा उनके मेल से शब्द बनाने के नियम आदि का उल्लेख किया जाता है।
व्याकरण किसे कहते हैं तथा उसके कितने अंक होते हैं ।
व्याकरण : व्याकरण वह शास्त्र है जिसकी सहायता से हम भाषा को शुद्ध लिखना, पढ़ना तथा बोलना सीखते हैं।
व्याकरण निम्नलिखित चार अंक के होते हैं :-
- वर्ण-विचार (Orthography)
- शब्द-विचार (Morphology)
- पद-विचार (Phraseology)
- वाक्य-विचार (Syntax)
1. वर्ण-विचार - इसके अंतर्गत वर्णों की बनावट, भेद तथा संधि, आदि पर विचार किया जाता है।
2. शब्द-विचार - इसके अंतर्गत शब्दों की बनावट, भेद, रचना, लिंग, वचन, काल, आदि पर विचार किया जाता है।
3. पद-विचार - वाक्य में प्रयुक्त शब्द 'पद' कहलाता है। इसके अंतर्गत पद और उसके भेदों तथा रचना, आदि का अध्ययन किया जाता है।
4. वाक्य-विचार - व्याकरण के इस भाग में वाक्यों की बनावट, भेज उनके वाक्य-विश्लेषण, वाक्य-संश्लेषण, विराम-चिह्नों, आदि के बारे में विचार किया जाता है।