*व्याकरण पाठ अर्थ की दृष्टि से वाक्य भेद* *अभ्यास कार्य पत्रिका* अर्थ के आधार पर निम्नलिखित वाक्यों के भेद बताइए- 1. हमारे स्कूल में बहुत हरियाली है। 2. मोहन क्या कर रहा था? 3. ईश्वर आपको खुश रखे। 4. वाह! कितना खुशनुमा मौसम है। 5. यदि तुम आ जाती तो बाजार चलते। 6. हाय राम! मैं तो लुट गई। 7. संभव है कि वह कल तक आ जाए। 8. मेरा घर पार्क के कोने पर ही है। 9. भगवान करे तुम यूं ही मुस्कुराते रहो। 10. अब तुम घर जाओ। 11. मुझे झूठ बोलना नहीं आता। 12. वह कभी चुप नहीं बैठती। 13. यदि बाजार गया तो तुम्हारे लिए आइसक्रीम ले आऊंगा। 14. आप आज कहां जा रहे हैं? 15. सूर्य पश्चिम में अस्त होता है। 16. अच्छा! आप भी गाना गाएंगे। 17. सुरेश को कल बुखार था। 18. विकास को भीतर बुलाओ। 19. तुम्हारा क्या नाम है? 20. अगर तुम परिश्रम करते तो सफल हो जाते।
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. सार्थकता – वाक्य की रचना सार्थक शब्द समूह द्वारा की जाती है ताकि वाक्य से उचित अर्थ की अभिव्यक्ति हो सके; जैसे –
प्रातः होते ही पक्षी कलरव करने लगे।
सालभर मेहनत करने के कारण ही वह कक्षा में प्रथम आया।
कभी-कभी निरर्थक शब्द भी वाक्य में प्रयुक्त होकर अर्थ का बोध कराने लगते हैं, जैसे
सुमन, इस भिखारी को कुछ खाना-वाना दे देना।
ये गौरैयाँ कब से बक-झक किए जा रही हैं।
2. आकांक्षा – किसी वाक्य के एक पद को सुनकर अन्य आवश्यक पद को सुनने या जानने की जो उत्कंठा प्रकट होती है, उसे आकांक्षा कहते हैं; जैसे – मैदान में खेल रहे हैं।
यह वाक्य सुनते ही हमारे मन में प्रश्न उठता है- मैदान में कौन खेल रहे हैं? हमें इसका उत्तर मिलता है –
लड़के मैदान में खेल रहे हैं।
यहाँ ‘लड़के’ शब्द जोड़ देने से वाक्य पूरा हो गया। इससे पहले वाक्य को ‘लड़के’ शब्द की आकांक्षा थी जिसके जुड़ते ही यह आकांक्षा समाप्त हो गई।
3. योग्यता – वाक्य में प्रयुक्त प्रत्येक शब्द (पद) प्रसंगानुरूप अर्थ प्रदान करता है। इसे ही योग्यता कहते हैं।
जैसे – किसान कुदाल से खेत जोतता है।
इस वाक्य में योग्यता का अभाव है क्योंकि कुदाल से खेत की जुताई नहीं की जाती है। कुदाल के स्थान पर ‘हल’ का प्रयोग करने से वाक्य में वांछित योग्यता आ जाती है। तब वाक्य इस तरह हो जाएगा- किसान हल से खेत जोतता है।
4. निकटता – वाक्य के किसी शब्द को बोलते या लिखते समय अन्य शब्दों में परस्पर निकटता होना आवश्यक है। इसके अभाव में शब्दों से अभीष्ट अर्थ की प्राप्ति नहीं हो पाती है; जैसे –
गाय … घास … चर रही है।
यहाँ ‘गाय’ शब्द बोलकर रुक जाने से मन में जिज्ञासा उठती है कि गाय ‘दूध देती है’ या दुधारू पशु है या कुछ और। इसी प्रकार ‘घास’ कहने के बाद रुक जाने से जिज्ञासा प्रकट होती है और हमें अर्थ के लिए अनुमान लगाना पड़ता है। अतः इस वाक्य को बिना रुके इस प्रकार लिखा या बोला जाना चाहिए- गाय घास चर रही है।
5. पदक्रम – वाक्यों में प्रयुक्त शब्दों को एक निश्चित क्रम में रखा जाता है ताकि वांछित अर्थ की अभिव्यक्ति हो। इसे ही पदक्रम कहते हैं। पदों (शब्द) के इस क्रम को बदल देने पर अर्थ की अभिव्यक्ति नहीं हो पाती है; जैसे –
पटरी रेलगाड़ी पर दौड़ती है।
हैं छात्रों को रहे पढा अध्यापक।
पदक्रम की दृष्टि से यह वाक्य उचित नहीं है। उचित पदक्रम में रखने पर इस तरह लिखा जाएगा
रेलगाड़ी पटरी पर दौड़ती है।
अध्यापक छात्रों को पढ़ा रहे हैं।
6. अन्वय – वाक्य अनेक शब्दों (पदों) का व्यवस्थित मेल होता है। यही व्यवस्थित रूप अन्वय कहलाता है।
वाक्य में प्रयुक्त पदों का लिंग, वचन, कारक, काल, पुरुष आदि के साथ यथोचित सामंजस्य होना चाहिए। इसके अभाव में वाक्य न व्याकरणिक दृष्टि से सही होते हैं और न वांछित अर्थ की अभिव्यक्ति कर पाते हैं; जैसे –
धोबी कपड़े धोती हैं।
छात्राएँ सुंदर चित्र बनाते हैं।
मज़दूर ने सवेरे-सवेरे काम पर जाते हैं।
उचित अन्वय के साथ लिखने पर –
धोबी कपड़े धोते हैं।
छात्राएँ सुंदर चित्र बनाती हैं।
मज़दूर सवेरे-सवेरे काम पर जाते हैं।
वाक्य भेद :
वाक्यों के वर्गीकरण के मुख्यतया दो आधार हैं –
अर्थ के आधार पर
रचना के आधार पर
नोट: कक्षा-10 के पाठ्यक्रम में ‘रचना के आधार पर’ वाक्य भेद शामिल नहीं है। अत: यहाँ इसका अध्ययन नहीं किया जाएगा।
अर्थ के आधार पर वाक्य भेद –
वाक्य में कोई सूचना दी जा रही है, या नकारात्मकता का भाव है, प्रश्न पूछा जा रहा है या विस्मय प्रकट किया जा रहा है, काम करने का आदेश दिया जा रहा है या इच्छा प्रकट की जा रही है, इसे ही ‘अर्थ’ कहा जाता है। इस आधार पर वाक्य के निम्नलिखित आठ भेद होते हैं
विधानवाचक वाक्य
प्रश्नवाचक वाक्य
आज्ञावाचक वाक्य
संदेहवाचक वाक्य
नकारात्मक वाक्य
इच्छावाचक वाक्य
विस्मयवाचक वाक्य
संकेतवाचक वाक्य
1. विधानवाचक वाक्य-जिस वाक्य में क्रिया होने या करने की सूचना मिलती हो या. इस प्रकार का सामान्य कथन हो, उसे विधानवाचक वाक्य कहते हैं।
विधानवाचक वाक्य को सकारात्मक वाक्य भी कहा जाता है क्योंकि इस प्रकार के वाक्यों में कही गई बात को ज्यों का त्यों मान लिया जाता है।
उदाहरण –
पक्षी घोंसले से उड़ चुके हैं।
कविता ने पाठ याद कर लिया है।
नदी में बाढ़ आई है।
विजया ने दौड़ में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
रोहित ने नया मकान खरीदा।
2. निषेधवाचक या नकारात्मक वाक्य-जिन वाक्यों से क्रिया न होने या न किए जाने का भाव प्रकट होता है, उसे नकारात्मक वाक्य कहते हैं।
उदाहरण – इन वाक्यों की पहचान न, मत, नहीं देखकर की जा सकती है।
पक्षी घोंसले से नहीं उड़े हैं।
कविता ने पाठ नहीं याद किया है।
नदी में बाढ़ नहीं आई है।
ऐसी सरदी में बाहर मत जाओ।
Answer:
1. भाववाचक संज्ञा
2. प्रश्नवाचक वाक्य
3. विस्मयादिबोधक वाक्य
4. विस्मयादिबोधक वाक्य
5. संकेतवाचक वाक्य
6. विस्मयादिबोधक वाक्य
Explanation:
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