History, asked by anjalisharma3038, 5 months ago

व्यापार बहुत उन्नत था और व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए नए शहर बन गए। कुछ समुदाय
जैसे वणिक वर्ग, मारवाड़ी और मुल्तानी लोगों ने व्यापार को अपना व्यवसाय बना लिया। बनजारे
कारवों के रूप में व्यापार करते और बेचने की वस्तुओं को उठाकर निरन्तर एक स्थान से दूसरे
स्थान पर यात्रा करते रहते।​

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Answered by Anonymous
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Answer:

====>> व्यापार (Trade) का अर्थ है क्रय और विक्रय। दूसरे शब्दों में, एक व्यक्ति (या संस्था) से दूसरे व्यक्ति (या संस्था) को सामानों का स्वामित्व अन्तरण ही व्यापार कहलाता है। स्वामित्व का अन्तरण सामान, सेवा या मुद्रा के बदले किया जाता है। जिस नेटवर्क (संरचना) में व्यापार किया जाता है उसे 'बाजार' कहते हैं।

  • आरम्भ में व्यापार एक सामान के बदले दूसरा सामान लेकर (वस्तु-विनिमय या बार्टर) किया जाता था। बाद में अधिकांश वस्तुओं के बदले धातुएँ, मूल्यवान धातुएँ, सिक्के, हुण्डी (bill) अथवा पत्र-मुद्रा से हुईँ। आजकल अधिकांश क्रय-विक्रय मुद्रा (मनी) द्वारा होता है। मुद्रा के आविष्कार (तथा बाद में क्रेडिट, पत्र-मुद्रा, अभौतिक मुद्रा आदि) से व्यापार में बहुत सरलता और सुविधा आ गयी। types of trade- यह दो प्रकार का होता है। 1- home trade 2- foreign trade
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