व्यापार चक्र नियंत्रणाचे चलन विषयक नियंत्रणे व राजकोषीय नियंत्रणे सविस्तर स्पष्ट करा
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व्यापार चक्र (business cycle अर्थवा आर्थिक चक्र अथवा बूम बस्ट चक्र) बाजार अर्थव्यवस्था में एक वर्ष अथवा कुछ माह में उत्पादन, व्यापार और सम्बंधित गतिविधि को सन्दर्भित करने वाला एक शब्द है।[1] किसी अर्थव्यवस्था में एक निश्चित समयान्तराल पर आर्थिक क्रियाओं में होने वाले बदलाव को व्यापार चक्र कहते है।
सरलीकृत कोण्ड्रातिव तरंग (Kondratiev wave)
पूँजीवादी व्यवस्था में सदा तेजी या सदा मन्दी नहीं रहती बल्कि तेजी के बाद मन्दी तथा मन्दी के बाद तेजी का क्रम आता रहता है। यह पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषता है। इसे ही व्यापार चक्र (ट्रेड सायकिल या इकनॉमिक सायकिल) कहते हैं। कई देशों (फ्रांस, इंग्लैण्ड, यूएसए) की अर्थव्यवस्था का अध्ययन करने के पश्चात फ्रांस के अर्थशास्त्री क्लीमेण्ट जगलर (Clement Juglar) ने सबसे पहले १८६२ 'व्यापार चक्र' की संकल्पना रखी थी।
व्यापारिक-चक्र के चढ़ाव के दौरान ऊँची राष्ट्रीय आय, अधिक उत्पादन, अधिक रोज़गार तथा ऊँची कीमतें पाई जाती हैं। इसको समृद्धि काल भी कहा जाता है। इसके विपरीत व्यापारिक चक्र के उतार के दौरान कम राष्ट्रीय आय, कम उत्पादन, कम रोजगार तथा नीचा कीमत स्तर पाया जाता है। इसको मन्दी काल भी कहा जाता है।
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