व्यापारिक बैंक के व्यापारिक बैंक के प्रकारों का वर्णन कीजिए
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Explanation:
वाणिज्यिक बैंक-
वाणिज्यिक बैंक वे बैंक्रिग संस्थान है जो जन साधारण से जमा स्वीकार करती हैं तथा अपने ग्राहकों को अल्प अवधि ऋण देती हैं। बैंकिग वाणिज्यिक बैंको के भी विभिन्न प्रकार है जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक और विदेशी बैंक ।
सार्वजनिक क्षेत्र के वाणिज्यिक बैंक- सार्वजनिक क्षेत्र के वाणिज्यिक बैंकोमे अधिकांश भागीदारी भारत सरकार व भारतीय रिजर्व बैंक की होती हैभारतीय बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, सिन्डीकेट बैंक, देना बैंक आदि इसकेउदाहरण है।
निजी क्षेत्र के वाणिज्यिक बैंक- निजी क्षेत्र वाणिज्यिक बैंको में बैंको कीअधिकांश अंश पूॅजं ी निजी हाथों में होती है यह बैंक सार्वजनिक कम्पनी केरूप में पंजीकृत होते है। इस वर्ग के बैंको के उदाहरण हैं जम्मू एवं कश्मीरबैंक लि. कोटक बैंक, एच.डी.एफ.सी. बैंक लि. आदि।
विदेशी बैंक- ऐसे बैंक जिनकी स्थापना व समामेलन विदेशों में हुआ हैलेकिन इनकी शाखाएं हमारे देश मे कार्यरत है इस वर्ग के बैंक हैं हांगकांगएण्ड शंघार्इ बैंकिंग कार्पोरेशन (एच.एस.बी.सी) बैंक, अमेरिकन एक्सप्रेसबैंक, स्टैन्डर्ड एण्ड चार्टर्ड बैंक, एबीएन ऐमरो बैंक इत्यादि।
सहकारी बैंक-
जब एक सहकारी समिति बैंकिंग व्यवसाय करती है तो इसे सहकारी बैककहते है। सहकारी बैंक सामान्यत: कम ब्याज दर पर ऋण देते है। इन बैंको कानियन्त्रण एवं निरीक्षण भी भारतीय रिजर्व बैंक करता है-
प्राथमिक साख समिति
केन्द्रीय सहकारी बैंक
राज्य सहकारी बैंक
विकास बैंक-
विकास बैंकों की स्थापना भारतीय रिजर्व बैंक के सहयोगी संस्थानों केरूप में की गर्इ ।
विकास बैंक वह वित्तीय संस्थान हैं जो उद्योगों को मध्य अवधि एवं दीर्घअवधि के लिए ऋण प्रदान करते हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत में उद्योगधन्धों का तेजी से विकास हुआ जिसमें भारी वित्तीय निवेश एवं अधिक प्रवर्तन कीमांग हुर्इ। इसके परिणामस्वरूप इन संस्थानों की स्थापना हुर्इ विकास बैंक उद्योगधन्धों के प्रवर्तन, विस्तार एवं आधुनिकीकरण में सहायता प्रदान करते है। मध्यअवधि एवं दीर्घ अवधि के लिए वित्त प्रदान करने के साथ-साथ यह बैंकऔद्योगिक उपक्रमो में पूंजी भी लगाते हैं। आवश्यकता पडऩ े पर यह तकनीकीसलाह एवं सहायता भी देते है। भारत में विकास बैंक के उदाहरण हैं। भारतीयऔद्योगिक वित्त निगम, राज्य वित्त निगम एवं भारतीय औद्योगिक विकास बैंक।
विशेष उद्देश्य बैंक-
कुछ ऐसे बैंक है। जो किसी विशेष गतिविधि अथवा क्षेत्र विशेष में कार्यकरते हैं इसलिए इन्हें विशेष उद्देश्य बैंक कहते हैं। भारतीय आयात निर्यात बैंक,भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक, कृषि एव ग्रामीण विकास बैंक, आदि इस वर्ग केबैंकों के उदाहरण हैं।
केन्द्रीय बैंक-
प्रत्येक देश में एक बैंक को बैंकिंग प्रणाली के मार्गदर्शन एवं नियमन काउतरदायित्व सांपै ा जाता है। इसे केन्द्रीय बैंक कहते हैं यह एक शीर्षस्थ बैंक होताहै और इसे उच्चतम वित्त्ाीय अधिकार प्राप्त होते हैं। भारत में केन्द्रीय बैंकिंगप्राधिकारी भारतीय रिजर्व बैंक है। यह जनमानस से सीधा लेन-देन नहीं करतायह बैंकों का बैंक है। इसमें सभी बैंको के जमा खाते होते हैं। यह बैंकों कोआवश्यकता पड़ने पर अग्रिम राशि देता है। यह मुद्रा एवं साख की मात्रा कानियमन करता है एवं सभी बैंकों के मुद्रा संबंधी लेन-देनां का निरीक्षण एवंनियन्त्रण करता है।
रिजर्व बैंक सरकार के बैंकर की भूमिका भी निभाता है और सरकारीप्राप्तियां, भुगतानों एवं विभिन्न स्त्रोतों से लिए गए ऋणों का विवरण रखता है।यह सरकार को मौद्रिक एवं साख नीति के विषय में सलाह देने एवं बैंकों द्वारा स्वीकार किए जाने वाली जमा राशि और दिये जाने वाले ़ ऋणों पर ब्याज की दरका निर्धारण भी करता है। यह देश मुद्रा, विदेशी मुद्रा के भंडारों, सोना एवं अन्यप्रतिभूतियों के रखवाले का कार्य भी करता है। रिजर्व बैक करेंन्सी नोट जारीकरने और मौद्रिक आपूर्ति के नियमन का कार्य भी करता है।