Science, asked by sananttiwary, 7 months ago

वायु प्रदूषण के विभिन्न कारण लिख कर उसे रोकने के लिए आप क्या क्या उपाय कर सकते हैं लिखिए​

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Answered by bhumigautam0612
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Answer:

वायुमण्डल पर्यावरण का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। मानव जीवन के लिए वायु का होना अति आवश्यक है। वायुरहित स्थान पर मानव जीवन की कल्पना करना करना भी बेकार है क्योंकि मानव वायु के बिना 5-6 मिनट से अधिक जिन्दा नहीं रह सकता। एक मनुष्य दिन भर में औसतन 20 हजार बार श्वास  लेता है। इसी श्वास के दौरान मानव 35 पौण्ड वायु का प्रयोग करता है। यदि यह प्राण देने वाली वायु शुद्ध नहीं होगी तो यह प्राण देने के बजाय प्राण ही लेगी।

पुराने समय में मानव के आगे वायु प्रदूषण जैसी समस्या सामने नहीं आई क्योंकि प्रदूषण का दायरा सीमित था साथ ही प्रकृति भी पर्यावरण को संतुलित रखने का लगातार प्रयास करती रही। उस समय प्रदूषण सीमित होने के कारण प्रकृति ही संतुलित कर देती थी लेकिन आज मानव विकास के पथ पर अग्रसर है और उत्पादन क्षमता बढ़ा रहा है। मानव ने अपने औद्योगिक लाभ हेतु बिना सोचे-समझे प्राकृतिक साधनों को नष्ट किया जिससे प्राकृतिक सन्तुलन बिगड़ने लगा और वायुमंडल भी इससे न बच सका। वायु प्रदूषण केवल भारत की समस्या हो ऐसी बात नहीं, आज विश्व की अधिकांश जनसंख्या इसकी चपेट में है।

हमारे वायुमण्डल में नाइट्रोजन, आक्सीजन, कार्बन डाई आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड आदि गैस एक निश्चित अनुपात में उपस्थित रहती हैं। यदि इनके अनुपात के सन्तुलन में परिवर्तन होते हैं तो वायुमण्डल अशुद्ध हो जाता है, इसे अशुद्ध करने वाले प्रदूषण कार्बन डाई आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड, हाइड्रोकार्बन, धूल मिट्टी के कण हैं जो वायुमण्डल को प्रदूषित करते हैं।

 वायु प्रदूषण के कारण

 विश्व की बढ़ती जनसंख्या ने प्राकृतिक साधनों का अधिक उपयोग किया है। औद्योगीकरण से बड़े-बड़े शहर बंजर बनते  जा रहे हैं। इन शहरों व नगरों की जनसंख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, इससे शहरों व नगरों में आवास-समस्या उत्पन्न हो गई है। इस आवास-समस्या को सुलझाने के लिए लोगों ने बस्तियों का निर्माण किया और वहाँ पर जल-निकासी, नालियों आदि की समुचित व्यवस्था नहीं होने से गन्दी बस्तियों ने वायुप्रदूषण को बढ़ावा दिया है। उद्योगों से निकलने वाला धुआँ, कृषि में रासायनों के उपयोग से भी वायु प्रदूषण बढ़ा है। साथ ही कारखानों की दुर्घटना भी भयंकर होती है। भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने की दुर्घटना गत वर्षों की बड़ी दुर्घटना थी जिससे एक ही समय हजारों व्यक्तियों को असमय मरना पड़ा था और जो जिन्दा रहे वो भी  विकंलाग और विकृत होकर इस दुर्घटना या गैस त्रासदी की कहानी बताते हैं।

आवागमन के साधनों की वृद्धि आज बहुत अधिक हो रही है। इन साधनों की वृद्धि से इंजनों, बसों, वायुयानों, स्कूटरों आदि की संख्या बहुत बढ़ी है। इन वाहनों से निकलने वाले धुएँ वायुमण्डल में लगातार मिलते जा रहे हैं जिससे वायुमण्डल में असन्तुलन हो रहा है।

वनों की कटाई से वायु प्रदूषण बढ़ा है क्योंकि वृक्ष वायुमण्डल के प्रदूषण को निरन्तर कम करते हैं। पौधे हानिकारक प्रदूषण गैस कार्बन डाई आक्साइड को अपने भोजन के लिए ग्रहण करते हैं और जीवनदायिनी गैस आक्सीजन प्रदान करते हैं, लेकिन मानव ने आवासीय एवं कृषि सुविधा हेतु इनकी अन्धाधुन्ध कटाई की है और हरे पौधों की कमी होने से वातावरण को शुद्ध करने वाली क्रिया जो प्रकृति चलाती है, कम हो गई है।

परमाणु परीक्षण से नाभिकीय कण वायुमण्डल में फैलते हैं जो कि वनस्पति व प्राणियों पर घातक प्रभाव डालते हैं।

वायु प्रदूषण के प्रभाव

यदि वायुमण्डल में लगातार अवांछित रूप से कार्बन डाइ आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, नाइट्रोजन, आक्साइड, हाइड्रो कार्बन आदि मिलते रहें तो स्वाभाविक है कि ऐसे प्रदूषित वातावरण में श्वास लेने से श्वसन सम्बन्धी बीमारियाँ होंगी। साथ ही उल्टी घुटन, सिर दर्द, आँखों में जलन आदि बीमारियाँ होनी सामान्य बात है।2.    वाहनों व कारखानों से निकलने वाले धुएँ में सल्फर डाइ आक्साइड की मात्रा होती है जो कि पहले सल्फाइड व बाद में सल्फ्यूरिक अम्ल (गंधक का अम्ल) में परिवर्तित होकर वायु में बूदों के रूप में रहती है। वर्षा के दिनों में यह वर्षा के पानी के साथ पृथ्वी पर गिरती है जिसमें भूमि की अम्लता बढ़ती है और उत्पादन-क्षमता कम हो जाती है। साथ ही सल्फर डाइ आक्साइड से दमा रोग हो जाता है।3.    कुछ रासायनिक गैसें वायुमण्डल में पहुँच कर वहाँ ओजोन मण्डल से क्रिया कर उसकी मात्रा को कम करती हैं। ओजोन मण्डल अन्तरिक्ष से आने वाले हानिकारक विकरणों को अवशोषित करती है। हमारे लिए ओजोन मण्डल ढाल का काम करता है लेकिन जब ओजोन मण्डल की कमी होगी तब त्वचा कैंसर जैसे भयंकर रोग से ग्रस्त हो सकती है।

4.    वायु प्रदूषण से भवनों, धातु व स्मारकों आदि का क्षय होता है। ताजमहल को खतरा मथुरा तेल शोधक कारखाने से हुआ है।

5.    वायुमण्डल में आक्सीजन का स्तर कम होना भी प्राणियों के लिए घातक है क्योंकि आक्सीजन की कमी से प्राणियों को श्वसन में बाधा आयेगी।

6.    कारखानों से निकलने के बाद रासायनिक पदार्थ व गैसों का अवशोषण फसलों, वृक्षों आदि पर करने से प्राणियों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।

वायु प्रदूषण को नियन्त्रित करने के उपाय

कारखानों को शहरी क्षेत्र से दूर स्थापित करना चाहिए, साथ ही ऐसी तकनीक उपयोग में लाने के लिए बाध्य करना चाहिए जिससे कि धुएँ का अधिकतर भाग अवशोषित हो और अवशिष्ट पदार्थ व गैसें अधिक मात्रा में वायु में न मिल पायें।2.    जनसंख्या शिक्षा की उचित व्यवस्था की जाए ताकि जनसंख्या वृद्धि को बढ़ने से रोका जाए।

3.    शहरी करण की प्रक्रिया को रोकने के लिए गाँवों व कस्बों में ही रोजगार व कुटीर उद्योगों व अन्य सुविधाओं को उपलब्ध कराना चाहिए।4.    वाहनों में ईंधन से निकलने वाले धुएँ को ऐसे समायोजित, करना होगा जिससे की कम-से-कम धुआँ बाहर निकले।

5.    निर्धूम चूल्हे व सौर ऊर्जा की तकनीकि को प्रोत्साहित करना चाहिए।

6.    ऐसे ईंधन के उपयोग की सलाह दी जाए जिसके उपयोग करने से उसका पूर्ण आक्सीकरण हो जाय व धुआँ ।

Answered by bhaskarbehere71
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Answer:

वायु प्रदूषण के कारण

विश्व की बढ़ती जनसंख्या ने प्राकृतिक साधनों का अधिक उपयोग किया है। औद्योगीकरण से बड़े-बड़े शहर बंजर बनते जा रहे हैं। इन शहरों व नगरों की जनसंख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, इससे शहरों व नगरों में आवास-समस्या उत्पन्न हो गई है। इस आवास-समस्या को सुलझाने के लिए लोगों ने बस्तियों का निर्माण किया और वहाँ पर जल-निकासी, नालियों आदि की समुचित व्यवस्था नहीं होने से गन्दी बस्तियों ने वायुप्रदूषण को बढ़ावा दिया है। उद्योगों से निकलने वाला धुआँ, कृषि में रासायनों के उपयोग से भी वायु प्रदूषण बढ़ा है। साथ ही कारखानों की दुर्घटना भी भयंकर होती है।

वायु प्रदूषण को नियन्त्रित करने के उपाय

कारखानों को शहरी क्षेत्र से दूर स्थापित करना चाहिए, साथ ही ऐसी तकनीक उपयोग में लाने के लिए बाध्य करना चाहिए जिससे कि धुएँ का अधिकतर भाग अवशोषित हो और अवशिष्ट पदार्थ व गैसें अधिक मात्रा में वायु में न मिल पायें।2. जनसंख्या शिक्षा की उचित व्यवस्था की जाए ताकि जनसंख्या वृद्धि को बढ़ने से रोका जाए।

3. शहरी करण की प्रक्रिया को रोकने के लिए गाँवों व कस्बों में ही रोजगार व कुटीर उद्योगों व अन्य सुविधाओं को उपलब्ध कराना चाहिए।4. वाहनों में ईंधन से निकलने वाले धुएँ को ऐसे समायोजित, करना होगा जिससे की कम-से-कम धुआँ बाहर निकले।

5. निर्धूम चूल्हे व सौर ऊर्जा की तकनीकि को प्रोत्साहित करना चाहिए।

6. ऐसे ईंधन के उपयोग की सलाह दी जाए जिसके उपयोग करने से उसका पूर्ण आक्सीकरण हो जाय व धुआँ कम-से-कम निकले।

7. वनों की हो रही अन्धाधुन्ध अनियंत्रित कटाई को रोका जाना चाहिए। इस कार्य में सरकार के साथ-साथ स्वयंसेवी संस्थाएँ व प्रत्येक मानव को चाहिए कि वनों को नष्ट होने से रोके व वृक्षारोपण कार्यक्रम में भाग ले।

8. शहरों-नगरों में अवशिष्ट पदार्थों के निष्कासन हेतु सीवरेज सभी जगह होनी चाहिए।

9. इसको पाठ्यक्रम में शामिल कर बच्चों में इसके प्रति चेतना जागृत की जानी चाहिए।

10. इसकी जानकारी व इससे होने वाली हानियों के प्रति मानव समाज को सचेत करने हेतु प्रचार माध्यम जैसे दूरदर्शन, रेडियो पत्र-पत्रिकाओं आदि के माध्यम से प्रचार करना चाहिए

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