Hindi, asked by digambardpatil44, 7 months ago

व्यापकपण सांडूं नये । पराधेन होऊं नये ।
आपलें वोझें घालू नये | कोणीयेकासी ||८||
सत्यमार्ग सांडूं नये । असत्य पंथें जाऊं नये ।
कदा अभिमान घेऊं नये । असत्याचा ||९||​

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Answered by mobilebackup222
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Answer:

|दशक दुसरा : मूर्खलक्षणनाम ||२|| समास दुसरा : उत्तम लक्षण ||

||दशक दुसरा : मूर्खलक्षणनाम ||२|| समास दुसरा : उत्तम लक्षण ||

||श्रीराम ||

श्रोतां व्हावें सावधान| आतां सांगतों उत्तम गुण |

जेणें करितां बाणे खुण| सर्वज्ञपणाची ||१||

वाट पुसल्याविण जाऊं नये| फळ वोळखिल्याविण खाऊं नये |

पडिली वस्तु घेऊं नये| येकायेकीं ||२||

अति वाद करूं नये| पोटीं कपट धरूं नये |

शोधल्याविण करूं नये| कुळहीन कांता ||३||

विचारेंविण बोलों नये| विवंचनेविण चालों नये |

मर्यादेविण हालों नये| कांहीं येक ||४||

प्रीतीविण रुसों नये| चोरास वोळखी पुसों नये |

रात्री पंथ क्रमूं नये| येकायेकीं ||५||

जनीं आर्जव तोडूं नये| पापद्रव्य जोडूं नये |

पुण्यमार्ग सोडूं नये| कदाकाळीं ||६||

निंदा द्वेष करूं नये| असत्संग धरूं नये |

द्रव्यदारा हरूं नये| बळात्कारें ||७||

वक्तयास खोदूं नये| ऐक्यतेसी फोडूं नये |

विद्याअभ्यास सोडूं नये| कांहीं केल्या ||८||

तोंडाळासि भांडों नये| वाचाळासी तंडों नये |

संतसंग खंडूं नये| अंतर्यामीं ||९||

अति क्रोध करूं नये| जिवलगांस खेदूं नये |

मनीं वीट मानूं नये| सिकवणेचा ||१०||

क्षणाक्षणां रुसों नये| लटिका पुरुषार्थ बोलों नये |

केल्याविण सांगों नये| आपला पराक्रमु ||११||

बोलिला बोल विसरों नये| प्रसंगी सामर्थ्य चुकों नये |

केल्याविण निखंदूं नये| पुढिलांसि कदा ||१२||

आळसें सुख मानूं नये| चाहाडी मनास आणूं नये |

शोधिलुआविण करूं नये| कार्य कांहीं ||१३||

सुखा आंग देऊं नये| प्रेत्न पुरुषें सांडूं नये |

कष्ट करितां त्रासों नये| निरंतर ||१४||

सभेमध्यें लाजों नये| बाष्कळपणें बोलों नये |

पैज होड घालूं नये| काहीं केल्या ||१५||

बहुत चिंता करूं नये| निसुगपणें राहों नये |

परस्त्रीतें पाहों नये| पापबुद्धी ||१६||

कोणाचा उपकार घेऊं नये| घेतला तरी राखों नये |

परपीडा करूं नये| विस्वासघात ||१७||

शोच्येंविण असों नये| मळिण वस्त्र नेसों नये |

जणारास पुसों नये| कोठें जातोस म्हणौनी ||१८||

व्यापकपण सांडूं नये| पराधेन होऊं नये |

आपलें वोझें घालूं नये| कोणीयेकासी ||१९||

पत्रेंविण पर्वत करूं नये| हीनाचें रुण घेऊं नये |

गोहीविण जाऊं नये| राजद्वारा ||२०||

लटिकी जाजू घेऊं नये| सभेस लटिकें करूं नये |

आदर नस्तां बोलों नये| स्वभाविक ||२१||

आदखणेपण करूं नये| अन्यायेंविण गांजूं नये |

अवनीतीनें वर्तों नये| आंगबळें ||२२||

बहुत अन्न खाऊं नये| बहुत निद्रा करूं नये |

बहुत दिवस राहूं नये| पिसुणाचेथें ||२३||

आपल्याची गोही देऊं नये| आपली कीर्ती वर्णूं नये |

आपलें आपण हांसों नये| गोष्टी सांगोनी ||२४||

धूम्रपान घेऊं नये| उन्मत्त द्रव्य सेवूं नये |

बहुचकासीं करूं नये| मैत्री कदा ||२५||

कामेंविण राहों नये| नीच उत्तर साहों नये |

आसुदें अन्न सेऊं नये| वडिलांचेंहि ||२६||

तोंडीं सीवी असों नये| दुसऱ्यास देखोन हांसों नये |

उणें अंगीं संचारों नये| कुळवंताचे ||२७||

देखिली वस्तु चोरूं नये| बहुत कृपण होऊं नये |

जिवलगांसी करूं नये| कळह कदा ||२८||

येकाचा घात करूं नये| लटिकी गोही देऊं नये |

अप्रमाण वर्तों नये| कदाकाळीं ||२९||

चाहाडी चोरी धरूं नये| परद्वार करूं नये |

मागें उणें बोलों नये| कोणीयेकाचें ||३०||

समईं यावा चुकों नये| सत्वगुण सांडूं नये |

वैरियांस दंडूं नये| शरण आलियां ||३१||

अल्पधनें माजों नये| हरिभक्तीस लाजों नये |

मर्यादेविण चालों नये| पवित्र जनीं ||३२||

मूर्खासीं संमंध पडों नये| अंधारीं हात घालूं नये |

दुश्चितपणें विसरों नये| वस्तु आपुली ||३३||

स्नानसंध्या सांडूं नये| कुळाचार खंडूं नये |

अनाचार मांडूं नये| चुकुरपणें ||३४||

हरिकथा सांडूं नये| निरूपण तोडूं नये |

परमार्थास मोडूं नये| प्रपंचबळें ||३५||

देवाचा नवस बुडऊं नये| आपला धर्म उडऊं नये |

भलते भरीं भरों नये| विचारेंविण ||३६||

निष्ठुरपण धरूं नये| जीवहत्या करूं नये |

पाउस देखोन जाऊं नये| अथवा अवकाळीं ||३७||

सभा देखोन गळों नये| समईं उत्तर टळों नये |

धिःकारितां चळों नये| धारिष्ट आपुलें ||३८||

गुरुविरहित असों नये| नीच यातीचा गुरु करूं नये |

जिणें शाश्वत मानूं नये| वैभवेंसीं ||३९||

सत्यमार्ग सांडूं नये| असत्य पंथें जाऊं नये |

कदा अभिमान घेऊं नये| असत्याचा ||४०||

अपकीर्ति ते सांडावी| सद्कीर्ति वाढवावी |

विवेकें दृढ धरावी| वाट सत्याची ||४१||

नेघतां हे उत्तम गुण| तें मनुष्य अवलक्षण |

ऐक तयांचे लक्षण| पुढिले समासीं ||४२||

इति श्रीदासबोधे गुरुशिष्यसंवादे उत्तामलक्षणनाम समास दुसरा ||२||२. २

Answered by jagrutij20
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Explanation:

सत्यमार्ग संडू नये परधेन होऊ नये

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