व्यायाम benefits in Hindi
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किसी कवि ने ठीक ही कहा है- शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम् अर्थात् मनुष्य का शरीर ही धर्म साधना का साहरन है । यदि मानव शरीर स्वस्थ है, तो उसके द्वारा सभी प्रकार की साधना हो सकती है । मनुष्य जीवन के- चार लक्ष्य हैं- धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष । इन चारों का मूल आधार स्वास्थ्य ही है । अस्वस्थ व्यक्ति का तो जीवन ही बेकार है, क्योंकि यह अपना कोई भी काम भली- भांति नहीं कर पाता । इसलिए जीवन में सच्चा सुख पाने के लिए अच्छा स्वास्थ्य बहुत आवश्यक है । स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है ।
यदि व्यक्ति स्वस्थ. रहता हैं तो वह अपना प्रत्येक कार्य स्फूर्ति एवं लगन से करता है । इसके विपरीत अस्वस्थ .व्यक्ति हमेशा परेशान रहता है । उसका किसी भी. कार्य में मन नहीं लगता और उसका जीवन दु:खमय हो जाता है । जिस प्रकार शरीर को जीवित रखने के लिए भोजन आवश्यक है- उसी प्रकार शरीर को जीवित रखने के लिए भोजन आवश्यक है उसी प्रकार शरीर को स्वस्थ एवं तंदरुस्त रखने के लिए व्यायाम आवश्यक है ।
किसी ने ठीक ही गकहा है, ” जान हैं तो जहान है । ” जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए स्वस्थ रहना नितांत आवश्यक है । अस्वस्थ व्यक्ति अपने परिवार के लिए ही नहीं बल्कि समाज के लिए भी भार स्वरूप है । अस्वस्थ व्यक्ति की कार्य क्षमता कम हो जाती है । ठीक ही कहा गया है- ” स्वास्थ्य ही व्यक्ति का सबसे बड़ा धन है – ” व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम करना चाहिए । व्यायाम शारीरिक एवं मानसिक दोनों प्रकार के हो सकते हैं । कहानियां, पुस्तकें, समाचार पत्र आदि पढ़ना मानसिक व्यायाम है । -खेलना? कूदना, प्रात -काल की सैर करना, योगासन आदि शारीरिक व्यायाम है ।
व्यायाम करने से शरीर तो पुष्ट होता ही है, मानसिक विकास भी होता है, आयु बढ़ती है, मांसपेशियां सुदृढ़ होती हैं । शरीर में रक्त का संचार होता है, पाचन शक्ति बढ़ती है, बुढ़ापा एवं रोग जल्दी आक्रमण नहीं करते, शरीर चुस्त एवं फुर्तीला रहता है । आलस्य कोसों दूर भाग जाता है । स्वस्थ व्यक्ति प्रसन्नचित्त रहता है तथा उसके कार्य करने की क्षमता में विकास होता है । व्यायाम करने से ध्यान केंद्रित होता है । विद्यार्थियों का पढ़ाई में मन लगता है ।
व्यायाम करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास, धैर्य, स्वावलंबन जैसे गुणों का विकास होता है । जीवन की सफलता अच्छे स्वास्थ्य पर निर्भर है और स्वास्थ्य व्यायाम पर । अत : हर व्यक्ति को नियमित रूप से प्रात -काल व्यायाम अवश्य करना चाहिए । व्यायाम करने से व्यक्ति के शरीर में रोग- प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और वह बीमारी का शिकार नहीं बनता । शरीर की सुंदरता एवं स्वास्थय के लिए व्यायाम नितांत आवश्यक है ।अपने शरीर के डील-डौल क्षमता, आयु आदि को ध्यान में रखकर ही व्यायाम का चुनाव करना चाहिए । व्यायाम की आदत विद्यार्थी जीवन से ही डालनी चाहिए क्योंकि इस काल में भाती जीवन की अगहगरशिला के रूप में सुदृढ़ एवं बलिष्ठ शरीर का निर्माण होता है । व्यायाम करते समय कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए । प्रात -काल तथा सायंकाल का समय सर्वोत्तम होता है । यदि व्यायाम नियमित रूप से किया जाए तभी उसका लाभ होता है । व्यायाम तभी करना चाहिए जब शरीर पूर्ण रूप से स्वस्थ हो । -जब भूख या प्यास लगे तब व्यायाम नहीं करना चाहिए । व्यायाम करने से पूर्व एवं तुरंत बाद भी कुछ नहीं खाना चाहिए । व्यायाम अपनी सर्मथता के .अनुसार ही करना चाहिए तथा व्यायाम की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ानी चाहिए । व्यायाम यदि खुले तथा स्वच्छ वातावरण में किया जाए तो .अधिक लाभकारी होता है । व्यायाम के तुरंत बाट स्नान नहीं करना चाहिए तथा मुँह से श्वास न लेकर श्वास नाक से लेना चाहिए ।
मानव जीवन की सफलता उसके स्वास्थ्य पर आधारित होती है । अच्छे स्वास्थ्य के लिए जहां उत्तम एवं संतुलित आहार, नियमित दिनचर्या तथा संयम की आवश्यकता होती है, वहीं नियमित रूप से व्यायाम की भी नितांत आवश्यकता पड़ती है । इसलिए नियमित रूप से व्यायाम की आदत डालनी चाहिए तथा अपने शरीर को हृष्ट-पुष्ट तथा निरोगी बनाए रखना चाहिए ।
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