Hindi, asked by nriya123, 2 months ago

व्यायाम के लाभ anuched

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Answered by pranali9689
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Answer:

व्यायाम वह गतिविधि है जो शरीर को स्वस्थ रखने के साथ व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य को भी बढाती है। यह कई अलग अलग कारणों के लिए किया जाता है। जिनमे शामिल हैं: मांसपेशियों को मजबूत बनाना, हृदय प्रणाली को सुदृढ़ बनाना, एथलेटिक कौशल बढाना, वजन घटाना या फिर सिर्फ आनंद के लिए। लगातार और नियमित शारीरिक व्यायाम, प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा देता है और यह हमारी नींद कम करता है इससे हमें सुबह उठने पर तकलीफ नहीं होतीहृदय रोग, रक्तवाहिका रोग, टाइप 2 मधुमेह और मोटापा जैसे समृद्धि के रोगों को रोकने में मदद करता है।[1][2] यह मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है और तनाव को रोकने में मदद करता है। बचपन का मोटापा एक बढ़ती हुई वैश्विक चिंता का विषय है और शारीरिक व्यायाम से बचपन के मोटापे के प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है।

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Answered by arshpreet1448
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व्ययाम से अभिप्राय है अपने तन मन को स्वस्थ और निरोग बनाये रखने के लिए किया गया परिश्रमपूर्ण कार्य या प्रयास। सर्वप्रसिद्ध युक्ति पहला सुख निरोगी काया के अनुसार शरीर का स्वस्थ व निरोग रहना ही सबसे बड़ा सुख है। अस्वस्थ व रोगी व्यक्ति संसार के सुखों का भोग कदापि नहीं कर सकता है। स्वस्थ शरीर के लिए व्यायाम अत्यंत आवश्यक है। जो व्यक्ति नित्यप्रति व्ययाम करते है। वे सदैव स्वस्थ व सुखी रहते है।

किसी ने कहा है ‘शरीर माधम खलु धर्म साधनम;– अर्थात शरीर को धर्म साधना का एक मात्र माध्यम स्वीकार किया गया है। शरीर ही कर्म का साधक है। ‘पहला शुख निरोगी काया’– यह कथन अक्षरश सत्य है। क्योंकि जिस व्यक्ति का शरीर रोगी है। उसका जीवन ही निर्रथक है। धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष जीवन के इन लक्ष्यों को स्वस्थ शरीर द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।बताया है।

अच्छा स्वास्थ्य एक महावरदान है। अच्छे स्वास्थ्य से ही अनेक प्रकार की सुख सुविधाये प्राप्त की जा सकती है। जो व्यक्ति अच्छे स्वास्थ्य तथा स्वस्थ शरीर के महत्व को नकारता है तथा ईशवर के इस वरदान का निरादर करता है, वह अपना ही नही समाज तथा ईशवर के इस वरदान का निरादर करता है, वह अपना ही नही, समाज तथा राष्ट्र को भी अहित करता है। स्वस्थ शरीर मे ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास हो सकता है। जिस व्यक्ति का शरीर ही स्वस्थ नही, फिर उसका मस्तिष्क भला कैसे स्वस्थ रह सकता है। स्वस्थ मस्तिष्क के अभाव में व्यक्ति कितना पंगु है। इसकी कल्पना आसानी से की जा सकती है।

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