व्यायाम का महत्व' समझते हुए अपने पिताजी को पत्र लिखिए
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84, रेलवे कालोनी,
बाराबंकी,
उत्तर प्रदेश प्रिय सोहन,
84, रेलवे कालोनी,
बाराबंकी,
उत्तर प्रदेश प्रिय सोहन,
1 जुलाई, 19…
प्रिय 84, रेलवे कालोनी,
बाराबंकी,
उत्तर प्रदेश प्रिय सोहन,
84, रेलवे कालोनी,
बाराबंकी,
उत्तर प्रदेश प्रिय सोहन,
1 जुलाई, 19…
प्रिय पीताजी,
बहुत-बहुत प्यार।
अभी-अभी भाई का पत्र आया है कि आप का स्वास्त खराब है। घूमना, फिरना या व्यायाम कुछ नहीं करते। हमारे पूर्वजों का कहना है पहला सुख नीरोगी काया जिसका शरीर अच्छा है, उसके सब काम अच्छे हो जाते हैं। अस्वस्थ शरीर से कुछ भी नहीं बन पड़ता। यह ठीक है कि काम करना आवश्यक है पर कामकाज के साथ-साथ व्यायाम और भी आवश्याक है। व्यायाम से शरीर चुस्त होता है, अंग पुष्ट होते हैं। सारा दिन मन प्रसन्न रहता है। अगर शरीर स्वस्थ रहे तो मन भी स्वस्थ रहेगा। यदि इसी तरह दुबले-पतले और मरियल बने रहे तो काम पर का कोई लाभ नहीं। इसलिए प्रात:काल सदैव कसरत किया करो। थोड़ी देर विश्राम करके स्नान करो।
आप देखोगे कि कुछ दिनों में तुम्हारा शरीर पुष्ट हो जाएगा। मुख पर एक आभा चमकेगी। व्यायाम के बहुत से लाभ होते हैं। मेरा विश्वास है कि आपअमल करेंगे , साथ-साथ व्यायाम करोगे। माता जी तथा पिता जी के चरणों में प्रणाम।
तुम्हारा शुभचिन्तक बेटा,
मोहन।