Hindi, asked by PriyoMiss, 1 month ago

व्यायाम और स्वास्थ्य पर लेख​
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Answered by dikshapawar1756
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स्वस्थ मस्तिष्क के अभाव में व्यक्ति कोई भी सकारात्मक कार्य नहीं कर सकता। व्यक्ति को अपने शरीर को स्वस्थ तथा काम करने योग्य बनाए रखने के लिए व्यायाम आवश्यक है। व्यायाम और स्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक है। व्यायाम से न केवल मनुष्य का शरीर पुष्ट होता है बल्कि वह मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहता है। यदि शरीर रोगी है तो उस में स्वस्थ मन निवास कदापि नहीं कर सकता। यदि मन स्वस्थ न हो तो विचार भी स्वस्थ नहीं हो सकते। जब विचार स्वस्थ नहीं होंगे तो कर्म की साधना कैसी होगी? कर्तव्यों का पालन कैसा होगा? शरीर को चुस्त , दुरुस्त एवं बलशाली बनाने के लिए व्यायाम आवश्यक है।शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जिस प्रकार पौष्टिक तत्वों की जरूरत होती है उसी प्रकार शरीर को चुस्त-दुरुस्त और सक्रिय रखने के लिए व्यायाम की भी जरूरत होती है। यही शरीर का साधन है जिससे मनुष्य कर्म करता है। शरीर ही कर्म का साधक और धर्म का आराधक है। मानव शरीर में ही आत्मा का निवास होता है। शरीर का पहला धर्म है निरोग रहना। इस परिपेक्ष्य में -“पहला सुख निरोगी काया” यह कथन बिल्कुल सत्य है क्योंकि जिस व्यक्ति का शरीर रोगी है उसका जीवन ही निरर्थक है।

महर्षि चरक का कहना है कि धर्म, अर्थ, काम , मोक्ष इन चारों का मूल आधार स्वास्थ्य ही है। यह बात अपने में नितांत सत्य है। अस्वस्थ मनुष्य न धर्म चिंतन कर सकता है, न अर्थोपार्जन कर सकता है, न काम प्राप्ति कर सकता है और न मानव- जीवन के सबसे बड़े स्वार्थ मोक्ष की उपलब्धि प्राप्त कर सकता है क्योंकि इन सब का मूल आधार शरीर है। अतः धर्म, अर्थ, कर्म एवं मोक्ष —-जीवन के इन 4 लक्ष्यों को स्वस्थ शरीर द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।

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