वायजर यान की खोजबीन से क्या पता चला है?
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पाठ दीवानों की हस्ती हम दीवानों की क्या हस्ती, हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले, मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले। आए बन कर उल्लास अभी, आँसू बन कर बह चले अभी, सब कहते ही रह गए, अरे, तुम कैसे आए, कहाँ चले? किस ओर चले? यह मत पूछो, चलना है, बस इसलिए चले, जग से उसका कुछ लिए चले, जग को अपना कुछ दिए चले, दो बात कही, दो बात सुनी। कुछ हँसे और फिर कुछ रोए। छककर सुख-दुख के घूँटों को हम एक भाव से पिए चले। हम भिखमंगों की दुनिया में, स्वच्छंद लुटाकर प्यार चले, हम एक निसानी – सी उर पर, ले असफलता का भार चले। अब अपना और पराया क्या? आबाद रहें रुकने वाले! हम स्वयं बँधे थे और स्वयं हम अपने बँधन तोड़ चले। 1.दीवानों की हस्ती कविता में आये व्यक्तिवाचक एवं जातिवाचक संज्ञा शब्दों को छांटिए ? plz help guys its urgent
Explanation:
पाठ दीवानों की हस्ती हम दीवानों की क्या हस्ती, हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले, मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले। आए बन कर उल्लास अभी, आँसू बन कर बह चले अभी, सब कहते ही रह गए, अरे, तुम कैसे आए, कहाँ चले? किस ओर चले? यह मत पूछो, चलना है, बस इसलिए चले, जग से उसका कुछ लिए चले, जग को अपना कुछ दिए चले, दो बात कही, दो बात सुनी। कुछ हँसे और फिर कुछ रोए। छककर सुख-दुख के घूँटों को हम एक भाव से पिए चले। हम भिखमंगों की दुनिया में, स्वच्छंद लुटाकर प्यार चले, हम एक निसानी – सी उर पर, ले असफलता का भार चले। अब अपना और पराया क्या? आबाद रहें रुकने वाले! हम स्वयं बँधे थे और स्वयं हम अपने बँधन तोड़ चले। 1.दीवानों की हस्ती कविता में आये व्यक्तिवाचक एवं जातिवाचक संज्ञा शब्दों को छांटिए ? plz help guys its urgenth
Co do fk go efhb