Hindi, asked by wwwwdollycom, 2 months ago

व्यक्ति के जीवन में संतोष का बड़ा महत्त्व है। संतोषी व्यक्ति सुखी रहता है। असंतोष व्याधिया की है महात्मा कबीर ने कहा है कि धन दौलत से कभी संतोष नहीं मिलता। संतोष भाषी धन मिलने पर समस्त दैत । के समान प्रतीत होते हैं। व्यक्ति जितना अधिक धन पाता जाता है उतना ही असंतोष उपजता जाता है। यह असला मानसिक तनाव उत्पन्न करता है जो अनेक रोगों की जड़ है। धन व्यक्ति को ठलझनों में फैसाता जाता है। साधु संतोषी बताया गया है क्योंकि भोजन मात्र की प्राप्ति से ही उसे संतोष मिल जाता है। हमें भी साधु जैसा होना चाहि हमें अपनी इच्छाओं को सीमित रखना चाहिए। हमारा मन सदा असंतुष्ट रहता है। सांसारिक वस्तुएँ हमें कभी संत नहीं दे सकती। संतोष का संबंध मन से है। यह सब से बड़ा धन है। इसके सम्मुख सोना, चाँदी, रुपया पैसा व्यर्थ है।

संतोष का विलोम शब्द है:

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(क) संतोषी

(ख) असंतोष

(ग) संतुष्ट

(घ) संतुष्टि

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संतोष रूपी धन मिलने पर क्या होता है?

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(क) समस्त वैभव धूल के समान प्रतीत होता है।

(ख) अपनी इच्छाएँ सीमित हो जाती हैं।

(ग) धन की लालसा बढ़ जाती है।

(घ) मन दुखी हो जाता है।

असंतोष क्या उत्पन्न करता है?

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(क) सीमित इच्छा

(ख) वैभव

(ग) उलझन

(घ) मानसिक तनाव

संतोष का संबंध किस से है?

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(क) मन से

(ख) धन से

(ग) वस्तुओं से

(घ) तन से

इस गद्यांश का शीर्षक क्या हो सकता है?

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(क) संसार

(ख) संतोष का महत्त्व

(ग) व्यक्ति

(घ) साधु का जीवन​

Answers

Answered by sonampriya1111111
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Answer:

1 ka ख hoga

2 ka क hoga

3 ka घ hoga

4 ka क hoga

5 ka ख hoga

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