व्यक्ति के जीवन मे धर्म और राष्ट्र कि भूमिका पर निबंध
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हमें राष्ट्र और राज्य इन दो अवधारणाओं में अंतर करना चाहिए. 'राज्य' एक राजकीय व्यवस्था है, जो क़ानून के बल पर चलती है और क़ानून को प्रभावी बनाने के लिए उसके पीछे दंड देने की शक्ति रहती है.
राष्ट्र यानी लोग होते हैं, लोगों का 'राष्ट्र' बनने के लिए तीन प्रधान शर्तें हैं.
1) जिस भूमि पर लोग रहते हैं, उस भूमि के प्रति उनकी भावना. उनको अपनी भूमि माता के समान पवित्र और वंदनीय लगनी चाहिए. वह 'मातृभूमि' होनी चाहिए.
2) लोगों का एक इतिहास होता है. इतिहास की घटनाएं जैसे आनंद देने वाली होती हैं, वैसे ही दु:खदायी भी होती हैं. ये घटनाएं विजय की होती हैं, तो पराजय की भी होती हैं. जिनको ये अपने इतिहास की घटनाएं लगती है, उनका राष्ट्र बनता है.
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