" व्यक्ति को मैं नहीं जानता था हताशा को जानता था" यहाँ मैं कौन है?
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प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री विनोद कुमार शुक्ल की कविता “हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था” कविता से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि किसी व्यक्ति को जानने का हमारा जो रूढी होता है वह तोड़ देते हैं। किसी व्यक्ति को उनके नाम, जाति, पते, उम्र, से जानना नहीं उन के एहसासों या दर्दो से जानना है।19
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