व्यक्ति नाम से नहीं गुणों से होता है निबंध
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व्यक्तित्व (personality) आधुनिक मनोविज्ञान का बहुत ही महत्वपूर्ण एवं प्रमुख विषय है। व्यक्तित्व के अध्ययन के आधार पर व्यक्ति के व्यवहार का पूर्वकथन भी किया जा सकता है।
प्रत्येक व्यक्ति में कुछ विशेष गुण या विशेषताएं होती हो जो दूसरे व्यक्ति में नहीं होतीं। इन्हीं गुणों एवं विशेषताओं के कारण ही प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से भिन्न होता है। व्यक्ति के इन गुणों का समुच्चय ही व्यक्ति का व्यक्तित्व कहलाता है। व्यक्तित्व एक स्थिर अवस्था न होकर एक गत्यात्मक समष्टि है जिस पर परिवेश का प्रभाव पड़ता है और इसी कारण से उसमें बदलाव आ सकता है। व्यक्ति के आचार-विचार, व्यवहार, क्रियाएं और गतिविधियों में व्यक्ति का व्यक्तित्व झलकता है। व्यक्ति का समस्त व्यवहार उसके वातावरण या परिवेश में समायोजन करने के लिए होता है।
जनसाधारण में व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति के बाह्य रूप से लिया जाता है, परन्तु मनोविज्ञान में व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति के रूप गुणों की समष्ठि से है, अर्थात् व्यक्ति के बाह्य आवरण के गुण और आन्तरिक तत्व, दोनों को माना जाता है।
व्यक्तित्व को प्रभावित करने में कुछ विशेष तत्वों का हाथ रहता है उन्हें हम 'व्यक्तित्व के निर्धारक' (Determinants of personality) कहते हैं। ये ही तत्व मिलकर व्यक्तित्व को पूर्ण बनाने में सहयोग देते हैं। इन्हीं तत्वों के अनुरूप व्यक्तित्व का विकास होता है।
कुछ विद्वानों ने व्यक्तित्व के निर्धारण में जैविक (Biological) आधार को प्रमुख माना है तो कुछ ने पर्यावरण संबंधी आधार को प्रधानता दी है, परन्तु व्यक्तित्व के विकास में इन दोनों निर्धारकों का हाथ रहता है।
जैविक निर्धारक निम्न चार हैं:-
1. आनुवांशिकता (Heredity)
2. स्रावी ग्रंथियां (Endocrine Glands)
3. शारीरिक गठन व स्वास्थ्य
4. शारीरिक रसायन (Body Chemistry)
पर्यावरण सम्बन्धी निर्धारक तीन हैं-
1. प्राकृतिक निर्धारक
2. सामाजिक निर्धारक
3. सांस्कृतिक निर्धारक