व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करने वाले जैविकीय तथा सामाजिक कारक कौन-कौन से हैं?
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व्यक्तित्व के निर्धारक से तात्पर्य कुछ वैसे कारकों (factors) से होता है जिनसे व्यक्ति का विकास प्रभावित होता है। मनोवैज्ञानिकों ने इस तरह के कारकों को दो भागों में बाँटा है। कुछ कारक ऐसे हैं जिनका संबंध व्यक्ति की आनुवंशिकता या जैविक प्रक्रियाओं से होता है। कुछ कारक ऐसे हैं जिनका संबंध व्यक्ति के वातावरण से होता है। जन्म के बाद व्यक्ति किसी समाज या संस्कृति के वातावरण में पाला-पोसा जाता है। अत:, वातावरण से संबंधित भी कुछ ऐसे कारक होते हैं जो व्यक्ति के विकास को प्रभावित करते हैं। इन दोनों कारक है -
(अ) जैविक या आनुवंशिक कारक—
(ब) पर्यावरणीय कारक—
(अ) जैविक या आनुवंशिक कारक—
जैविक कारक से तात्पर्य वैसे कारकों से होता है जो आनुवंशिक होते हैं तथा जन्म से पहले से ही व्यक्ति में मौजूद होते हैं, और व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करते हैं। ऐसे प्रमुख कारक निम्न हैं—
1. शारीरिक संरचना—
व्यक्तित्व का बाहरी स्वरूप व्यक्तित्व विकास पर प्रभाव डालता है।
जैसे—एक आकर्षक व्यक्तित्व रखने वाले व्यक्ति अपने आस-पास के लोगों में आकर्षण का केन्द्र होता है।
एक प्रतिभासम्पन्न विभिन्न गुणों से युक्त छोटे कद के दूबले-पतले व्यक्ति को (उसकी शारीरिक संरचना बनावट आकर्षण न होने के कारण) अनदेखी की जाती है।