व्यक्तित्व मनोवृति से संबंधित व्यक्ति पर एक प्रोजेक्ट तैयार करें
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- व्यक्तित्व (personality) आधुनिक मनोविज्ञान का बहुत ही महत्वपूर्ण एवं प्रमुख विषय है। व्यक्तित्व के अध्ययन के आधार पर व्यक्ति के व्यवहार का पूर्वकथन भी किया जा सकता ह
- व्यक्तित्व (personality) आधुनिक मनोविज्ञान का बहुत ही महत्वपूर्ण एवं प्रमुख विषय है। व्यक्तित्व के अध्ययन के आधार पर व्यक्ति के व्यवहार का पूर्वकथन भी किया जा सकता हप्रत्येक व्यक्ति में कुछ विशेष गुण या विशेषताएं होती हो जो दूसरे व्यक्ति में नहीं होतीं। इन्हीं गुणों एवं विशेषताओं के कारण ही प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से भिन्न होता है। व्यक्ति के इन गुणों का समुच्चय ही व्यक्ति का व्यक्तित्व कहलाता है। व्यक्तित्व एक स्थिर अवस्था न होकर एक गत्यात्मक समष्टि है जिस पर परिवेश का प्रभाव पड़ता है और इसी कारण से उसमें बदलाव आ सकता है। व्यक्ति के आचार-विचार, व्यवहार, क्रियाएं और गतिविधियों में व्यक्ति का व्यक्तित्व झलकता है। व्यक्ति का समस्त व्यवहार उसके वातावरण या परिवेश में समायोजन करने के लिए होता है।
मनोवृत्ति (अभिवृत्ति
वस्तुत: मनोवृत्ति किसी व्यक्ति की मानसिक तस्वीर या प्रतिच्छाया है जिसके आधार पर वह व्यक्ति, समूह, वस्तु, परिस्थिति या फिर किसा घटना के प्रति अनुकूल या प्रतिकूल दृष्टिकोण अथवा विचार को प्रकट करता है।
मनोवृत्ति का प्रभाव व्यक्ति के व्यवहार पर दिशासूचक रूप से पड़ता है। मनोवृत्ति व्यक्ति की शक्ति को एक खास दिशा में लगा देती है, जिसके कारण वह अन्य दिशाओं को छोड़कर एक निश्चित दिशा में व्यवहार करने लगता है।
जैसा कि इसको परिभाषा से स्पष्ट है- मनोवृत्ति सकारात्मक भी हो सकती है और नकारात्मक भी। अगर व्यक्ति की मनोवृत्ति सकारात्मक है तो उसकी प्रतिक्रिया भी अनुकूल होगी, परन्तु अगर मनोवृत्ति नकारात्मक है तो प्रतिक्रिया अनुकूल नहीं बल्कि प्रतिकूल होगी।
अर्थात् व्यक्ति की मनोवृत्ति तथा उसके व्यवहार के बीच सदा सम्बद्धता होती है।
दूसरे शब्दों में, अगर एक व्यक्ति की मनोवृत्ति अपने काम अथवा संगठन (जिसका वह सदस्य है) के प्रति सकारात्मक है तो उससे इस बात की उम्मीद की जा सकती है कि वह अपने संगठन के प्रति अपना महत्तम योगदान देगा।
संज्ञानात्मक संघटक (Cognitive Component)
किसी वस्त से संबंधित व्यक्ति के विचार और विश्वासों को संज्ञाना कहते हैं।
अर्थात् किसी वस्तु के बारे में उपलब्ध सूचना के आधार पर ही इस बारे में अपनी धारणा बनाते हैं या फिर कोई निर्णय देते हैं।
इसी आधार पर उस वस्तु के बारे में हमारी मनोवृत्ति सकारात्मक या नकारात्मक होती है। मनोवृत्ति का यही संघटक संज्ञानात्मक कहलाता है।
उदाहरण
अगर हम किसी व्यक्ति के प्रति यह विश्वास रखते हैं कि वह असभ्य है तो इसका अर्थ यह है कि हम उसे एक असभ्य मनुष्य के रूप में देखते हैं। उस व्यक्ति के प्रति हमारे इसी विश्वास को संज्ञानात्मक घटक कहा जाएगा।
भावात्मक संघटक (Affective Component)
यह संघटक मनोवृत्ति परिवर्तन, निर्णयन, सामाजिक प्रभाव तथा प्रत्यायन (Persuasion) सभी में समान रूप से पाया जाता है।
भावात्मक संघटक का तात्पर्य किसी मनोवृत्ति वस्तु (attitude object) के प्रति व्यक्ति के भाव अथवा पसंद या नापसंद तथा सहानुभूति आदि से है।
भावात्मक संघटक वास्तव में मनोवृत्ति का सारभाग (Core) होता है तथा अन्य संघटक सिर्फ सहायक की भूमिका में होते हैं।
व्यवहारात्मक संघटक (Beharioural Component)
किसी वस्तु के प्रति व्यवहार या क्रिया करने की तत्परता को व्यवहारात्मक संघटक कहते हैं।
यह क्रियात्मक संघटक के नाम से भी जाना जाता है।
क्रियात्मक संघटक का तात्पर्य किसी मनोवृत्ति-वस्तु के प्रति व्यक्ति की क्रिया प्रवृत्ति से है। इसका अर्थ यह है कि व्यक्ति किसी मनोवृत्ति-वस्तु के प्रति कैसा व्यवहार करता है।
उदाहरण
अगर एक व्यक्ति को यह विश्वास है जिस संस्था में वह कार्यरत है वहां का मालिक भ्रष्ट है तथा संस्था के पैसों का दुरुपयोग कर रहा है तो ऐसे में हो सकता है अपने मालिक के प्रति वह वैसा व्यवहार न करे जैसा कि उससे उम्मीद की जाती है या फिर यह भी हो सकता है कि वह अपनी नौकरी ही छोड़ दे।
मनोवृत्ति (अभिवृत्ति) के प्रकार
मनोवृत्ति को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है –
व्यक्त (प्रत्यक्ष) – सजगता का परिणाम
अंतर्निहित (अप्रत्यक्ष) – अचेतन मन में निहित
दोनों में मौलिक अन्तर यह है कि जहां मनुष्य व्यक्त (प्रत्यक्ष) मनोवृत्ति के निर्माण के प्रति सजग रहता है अर्थात् उसे अपनी मनोवृत्ति का ज्ञान रहता है वहीं अंतर्निहित अर्थात् अप्रत्यक्ष मनोवृत्ति के प्रति वह सचेत नहीं रहता बल्कि भूतकाल की यादें इस मनोवृत्ति के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
नैतिक मनोवृत्ति (अभिवृत्ति) (Moral Attitude)
नैतिक प्रवृत्तियां प्रत्येक व्यक्ति के व्यवहार में परिलक्षित होती हैं।
यहां प्रवृत्तियों के ‘नैतिक’ होने का अर्थ है किसी वस्तु या व्यक्ति के बारे में नैतिक निर्णय देना अर्थात् मूल्यांकन करना कि वह उचित है या अनुचित।
उदाहरण
वर्तमान विश्व में कई राष्ट्र हैं और इन राष्ट्रों के बारे में अच्छा या बुरा कहने मात्र से भी किसी व्यक्ति के नैतिक मनोवृत्ति का पता चलता है यानी उसके इस प्रकार के वक्तव्य से विश्व के प्रति उसकी मनोवृत्ति तथा मूल्यों में उसकी आस्था का पता चलता है।
नैतिक मनोवृत्ति तथा मूल्यों का संस्कृति से संबंध
प्रत्येक संस्कृति का अपना-अपना सांस्कृतिक प्रतिरूप होता है। उसके अपने-अपने मूल्य, मानदंड तथा परंपराएं होती हैं। अत: किसी संस्कृति के सदस्यों की मनोवृत्ति के निर्माण पर उसके सांस्कृतिक प्रतिरूपों का भी प्रभाव पड़ता है। इसी कारण जहां एक संस्कृति के लोगों की मनोवृत्ति में अधिक समानता पाई जाती है, वहां भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के लोगों की मनोवृत्ति में अधिक भिन्नता।
नैतिक मूल्य सभी प्राकृतिक मूल्यों में सर्वश्रेष्ठ है – अच्छाई, पवित्रता, सत्यवादिता, विनम्रता। ये नैतिक मूल्य, बुद्धिमत्ता, मेधाविता, खुशी, शक्ति-संपन्नता, प्राकृतिक सन्दरता अथवा कला या फिर किसी राज्य में व्याप्त शक्ति एवं स्थायित्व आदि मूल्यों से कहीं अधिक उच्चतर स्थान रखते हैं।
वैसे तो सांस्कृतिक मूल्य अनेक हैं दया, करुणा, दानशीलता, नि:स्वार्थ प्रेम जैसे नैतिक मूल्यों की बात ही अलग है। ये अन्य नैतिक मूल्यों की अपेक्षा चिरस्थायी हैं तथा ज्यादा सार्थक भी।
राजनीतिक मनोवृत्ति (अभिवृत्ति) (Political Attitude)
जैसा कि पिछली चर्चाओं में भी कहा गया है- विशिष्ट वस्तुओं के प्रति विशेष रूप से व्यवहार करने की प्रवृत्ति (झुकाव) को मनोवृत्ति कहते हैं। जहां तक राजनीतिक मनोवृत्ति का प्रश्न है, यहां मनोवृत्ति वस्तु (Attitude-object) राजनीति से जुड़े होते हैं, जैसे कि राजनीतिक उम्मीदवार, राजनीतिक मुद्दे, राजनीतिक दल अथवा राजनीतिक संस्थाएं आदि ।
राजनीतिक मनोवृत्ति और व्यक्तित्व के शीलगुण (Political Attitude & Personality Traits)
व्यक्तित्व के कुछ ऐसे शीलगुण (Traits) हैं जिनका राजनीतिक मनोवृत्ति पर स्पष्ट रूप से प्रभाव पड़ता है। ऐसे पांच शीलगुणों (Traits) की पहचान की गई है जिनकी चर्चा नीचे की जा रही है ।