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" गमले-सा टूटता हुआ उसका ‘ग’
घडे-सा लुढ़कता हुआ उसका ‘घ’
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गमले-सा टूटता हुआ उसका ‘ग’
घडे-सा लुढ़कता हुआ उसका ‘घ’
व्याख्या : यह पंक्तियां ‘अक्षर ज्ञान’ नामक कविता की हैं, जिसकी रचयिता अनामिका हैं। उन्होंने शिक्षा के प्रारंभिक दौर में बच्चे द्वारा अक्षर सीखने की प्रक्रिया का चित्रण किया है।
कवयित्री के अनुसार बच्चों को शिक्षा की शुरुआत के समय अक्षरों का ज्ञान कराना एक कौतकुपूर्ण कार्य है। किताबों के चित्रमय वातावरण में अपनी असफलताओं से जूझते हुए निरंतर प्रयास करते करता रहता है, और आशावादी होकर आगे बढ़ते रहने से ही बच्चे की कल्पना क्षमता विकसित होती है।
‘ग’ गमले की तरह नाजुक हैस जो टूट जाता है। लेकिन ‘घ’ घड़े का प्रतीक है, जिससे लिखने का प्रयास किया जाता है, लेकिन वह लुढ़क जाता है। कहने का तात्पर्य है कि गमले से बच्चा ‘ग’ सीखता है, और घड़े से बच्चा ‘घ’ सीखता है।
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