वियना कांग्रेस में कौन सा राष्ट्र सम्मिलित नहीं था
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वियना की कांग्रेस (Viena Congress) यूरोपीय देशों के राजदूतों का एक सम्मेलन था, जो सितंबर 1814 से जून 1815 को वियना में आयोजित किया गया था। इसकी अध्यक्षता ऑस्ट्रियाई राजनेता मेटरनिख ने की।[1] कांग्रेस का मुख्य उद्देश्य फ्रांसीसी क्रांतिकारी युद्ध, नेपोलियन युद्ध और पवित्र रोमन साम्राज्य के विघटन से उत्पन्न होने वाले कई मुद्दों एवं समस्याओं को हल करने का था।
वियना कांग्रेस (Jean-Baptiste Isabey द्वारा निर्मित चित्र, 1819)
नैपोलियन को वाटरलू की पराजय के पश्चात् सेंट हेलेना द्वीप निर्वासित कर दिया गया, तत्पश्चात् आस्ट्रिया की राजधानी वियना में यूरोप की विजयी शक्तियां 1815 में एकत्रित हुई। उद्देश्य था, यूरोप के उस मानचित्र को पुनर्व्यवस्थित करना जिसे नेपोलियन ने अपने युद्ध और विजयों से उलट-पटल दिया था। वस्तुतः आस्ट्रिया के चांसलर मेटरनिख ने नेपोलियन के विरूद्ध मोर्चा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, इसीलिए उसकी पहल पर आस्ट्रिया की राजधानी वियना में कांगे्रस बुलाई गई थी।
इस सम्मेलन में यूरोप के कई छोटे-छोटे देश शामिल हुए किन्तु नीति निर्माण के संबंध में चार मुख्य देशों के प्रतिनिधियों की भूमिका महत्वपूर्ण रही। ये नेता थे- आस्ट्रिया का चांसलर मेटरनिक, रूस का जार एलेक्जेंडर, इंग्लैंड का विदेश मंत्री लॉर्ड कैसलरे तथा फ्रांसीसी विदेश मंत्री तैलरा।
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वियना कांग्रेस में लंदन सम्मिलित नहीं था |
व्याख्या :
- वर्ष 1815 में, रूस, ऑस्ट्रिया, प्रशिया जैसी यूरोपीय शक्तियाँ, जिन्हें नेपोलियन ने पराजित किया, समाधान खोजने के लिए वियना में मिलीं। इस बैठक की मेजबानी ऑस्ट्रिया के चांसलर ड्यूक मेटर्निच ने की थी।
- प्रतिनिधियों ने नेपोलियन युद्ध के दौरान यूरोप में आए अधिकांश परिवर्तनों को पूर्ववत करने के उद्देश्य से 1815 की वियना की संधि तैयार की।
- वियना के कांग्रेस का मुख्य लक्ष्य भविष्य के फ्रांसीसी आक्रमण को रोकना था। दूसरा, शक्तियों के संतुलन की बहाली ताकि कोई भी देश दूसरे के लिए खतरा न हो। तीसरा, वे यूरोप के शाही परिवारों को सिंहासन पर बहाल करना चाहते थे।
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