Science, asked by choudharyprempal66, 1 month ago

वायरस पर एंटीबायोटिक का प्रभाव क्यों नहीं दिखाई देता है​

Answers

Answered by ashayjain
0

Answer:

स्कॉटलैंड के बैक्टीरिया विशेषज्ञ अलेक्जांडर फ्लेमिंग ने सितंबर 1928 में पेंसिलिन की खोज की थी. यह आधुनिक चिकित्सा में मील का पत्थर था. बाद में इसकी वजह से पहली बार बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों का इलाज संभव हुआ. लेकिन इस बीच बैक्टीरिया प्रतिरोधी क्षमता विकसित करते जा रहे हैं. इसकी वजह जानवरों के चारे में और इंसान के इलाज में एंटीबायोटिक्स का बढ़ता इस्तेमाल है. अब अमेरिका और जर्मनी के वैज्ञानिकों को नई दवा मिली है जो खतरनाक बैक्टीरिया के खिलाफ इलाज में प्रभावी हो सकती है.

बॉन सथित फार्मा माइक्रोबायोलॉजी इंस्टीट्यूट की प्रोफेसर तान्या श्नाइडर बताती हैं कि एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया दुनिया भर में बढ़ रहे हैं, "इसका संबंध सिर्फ इंफेक्शन से होने वाली बीमारियों पर ही नहीं, बल्कि चिकित्सा विज्ञान के दूसरे पहलुओं से भी है. कीमोथैरेपी हो, ट्रांसप्लांट या इंप्लांट. यह सब एंटीबायोटिक के बिना संभव नहीं हैं."

धरती में पाए जाने वाले बैक्टीरिया प्राकृतिक एंटीबायोटिक एजेंट पैदा करते हैं ताकि वे दूसरे बैक्टीरिया से लड़ सकें, उनसे अपनी सुरक्षा कर सकें. लेकिन अब तक जमीन में पाए जाने वाले 99 फीसदी बैक्टीरिया के बारे में कोई जानकारी नहीं है. उन्हें प्रयोगशालाओं में पैदा नहीं किया जा सकता. फार्मा बायोलॉजी इंस्टीट्यूट के डॉक्टर टिल शेबैर्ले का कहना है, "शायद हम प्रयोगशाला में बैक्टीरिया पैदा करने के लिए सही वातावरण नहीं बना पा रहे हैं. मतलब यह कि पोषक तत्व उपलब्ध नहीं हैं और दूसरी चीजें भी वैसी नहीं हैं जैसी जमीन में होती है. इसलिए हम उन परिस्थितियों की नकल नहीं कर सकते जिससे बैक्टीरिया ब्रीड कर सकें."

लेकिन पहली बार अमेरिकी वैज्ञानिकों को अंजाने जमीनी बैक्टीरिया को प्राकृतिक परिस्थितियों में पैदा करने में कामयाबी मिली है. उन्होंने मल्टी चैंबर चिप विकसित किया है जिसमें जमीन में मिलने वाले बैक्टीरिया को अलग थलग कर दिया जाता है और फिर जमीन में बढ़ने के लिए छोड़ दिया जाता है. उनकी कॉलोनी को बाद में प्रयोगशाला में आगे ब्रीड किया जा सकता है और उसके एंटीबायोटिक असर का परीक्षण किया जा सकता है

Similar questions