व्यष्टि अर्थशास्त्र का मुख्य यंत्र कीमत सिद्धांत है स्पष्ट कीजिए
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व्यष्टिगत आर्थिक इकाइयों और अर्थव्यवस्था के छोटे अंगों को 'सूक्ष्म चरों' या 'सूक्ष्म मात्राएं' भी कहते हैं। अतः व्यष्टिगत अर्थशास्त्र सूक्ष्म मात्राओं व सूक्ष्म चरों के व्यवहार का अध्ययन करता हैं । व्यष्टिगत अर्थशास्त्र को 'कीमत सिद्धान्त' भी कहा जाता है । 18वीं-19वीं शताब्दी में इसको मूल्य का सिद्धान्त कहा जाता था ।
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व्यष्टि अर्थशास्त्र का संबंध वैयक्तिक इकाईयों, जैसे- एक व्यक्ति, एक परिवार, एक फर्म, एक उद्योग, एक वस्तु व सेवा का मूल्य इत्यादि के अध्ययन से होता है।
Explanation:
- व्यष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक विश्लेषण की उस शाखा को कहते हैं। जो वैयक्तिक या विशिष्ट आर्थिक इकाइयों तथा अर्थव्यवस्था के 'छोटे भागों' का, उनके व्यवहारों तथा पारस्परिक संबंधों का अध्ययन करता है। व्यष्टि अर्थशास्त्र की इस रीति का प्रयोग किसी विशिष्ट वस्तु की कीमत निर्धारण, व्यक्तिगत उपभोक्ताओं तथा उत्पादकों के व्यवहार एवं आर्थिक नियोजन, व्यक्तिगत फर्म, व्यक्तिगत उद्योग के संगठन आदि तथ्यों के अध्ययन हेतु किया जाता है।
व्यष्टि अर्थशास्त्र की विशेषताएँ
- वैयक्तिक इकाइयों का अध्ययन - व्यष्टि अर्थशास्त्र में वैयक्तिक या विशिष्ट इकाइयों के अध्ययन किया जाता है। समूहों अथवा योगों के अध्ययन से इसका कोई संबंध नहीं होता।
- सूक्ष्म चरों का अध्ययन - इसमें सूक्ष्म (Micro) चरों अर्थात छोटे छोटे भागों का अध्ययन किया जाता है। इन चरों के परिवर्तन का प्रभाव अत्यंत ही कम होता है जैसे- एक उपभोक्ता अपने उपभोग या एक उत्पादक अपने उत्पादन सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था की माँग एवं पूर्ति को बिल्कुल भी प्रभावित नहीं कर सकता।
- पूर्ण रोज़गार की मान्यता - व्यष्टि अर्थशास्त्र का अध्ययन करते समय पूर्ण रोज़गार की मान्यता को लेकर चला जाता है।
- क़ीमत सिद्धांत - व्यष्टि अर्थशास्त्र को क़ीमत अथवा मूल्य सिद्धांत के नाम से भी जाना जाता है। इसके अंतर्गत वस्तु की माँग एवं पूर्ति की घटनाओं का अध्ययन किया जाता है। जहाँ विभिन्न वस्तुओं के व्यक्तिगत मूल्य निर्धारण भी किये जाते हैं।
अर्थशास्त्रियों द्वारा दी गयी कुछ विशिष्ट परिभाषाएँ-
- प्रो. बोल्डिंग के अनुसार- "व्यष्टि अर्थशास्त्र विशिष्ट फर्मों, विशिष्ट परिवारों, वैयक्तिक कीमतों, मजदूरियों, आयों, विशिष्ट उद्योगों और विशिष्ट वस्तुओं का अध्ययन है।"
- प्रो. चेम्बरलिन के अनुसार- "व्यष्टि अर्थशास्त्र पूर्णरूप से व्यक्तिगत व्याख्या पर आधारित है और इसका संबंध अंतर-वैयक्तिक संबंधों से भी होता है।"
- प्रो. मेहता के अनुसार- "व्यष्टि अर्थशास्त्र वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमत निर्धारण का अध्ययन करता है।"
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