व्यष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएं
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किन्तु इसके निम्नलिखित दोष या सीमाएं हैं. (1) अर्थव्यवस्था का अधूरा चित्र- व्यष्टिगते अर्थशास्त्र में केवल व्यक्तिगत इकाइयों का ही अध्ययन किया जाता है । इसमें सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को स्थान नहीं दिया जाता है । फलतः देश व विश्व की अर्थव्यवस्था का सही-सही चित्र नहीं मिल पाता।
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